मल्हार मीडिया ब्यूरो
टेलिविजन पर होने वाली बहस (डिबेट) अक्सर जमीनी हकीकत से जुड़ी नहीं होती। यह कहना है सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली का। उन्होंने कहा कि हर विवाद अपने आप में खबर नहीं होती। टीवी चैनलों पर विश्वसनीय और गंभीर खबरों की कमी है। जेटली पाक्षिक पत्रिका ओपनियन पोस्ट के लांचिंग अवसर पर कहा कि कई बार टीवी पर होने वाली चर्चाओं को देखकर लगता है कि जैसे यही राष्ट्रीय सुर्खियां है लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत होती है। जेटली ने आगे कहा कि टीवी पत्रकारों को लगता है जो कुछ टीवी पर अच्छा दिखता है वही खबर है और बाकी सब बेकार है। इस प्रवृत्ति को छोड़ना होगा क्योंकि लोग अब वास्तविक और तथ्यों पर आधारित खबर चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया पर गलाकाट प्रतिस्पर्धा मची हुई है और इस दौर में पाठकों की गंभीर खबरों की भूख है, जिसे शांत कर प्रिंट मीडिया के पास अपनी सशक्त वापसी दर्ज कराने का यह सही मौका है।
जेटली ने कहा कि यह एक खतरनाक प्रतिस्पर्धा है, क्योंकि इसमें प्रतिद्वंदियों को पछाडऩे के चक्कर में खबरें कल्पना के आधार पर गढ़ी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि न्यूज चैनल और सोशल मीडिया को हर घंटे सुर्खियां चाहिए और ऐसे में हर बार खबरों को नए ढंग से पेश करने की होड़ मच जाती है। इससे असली खबरें खो जाती हैं और उन्हें गलत ढंग से पेश किया जाता है।
जेटली ने कहा कि देश में गंभीर पत्रकारिता की बढ़ती मांग के कारण प्रिंट मीडिया की तरफ लोगों का रूझान हो रहा है। डिजिटल और प्रिंट दोनों के पाठकों की संख्या बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि माइंड और मार्केट स्पेस के बीच खाई बढ़ रही है लेकिन यह स्थिति लंबे समय तक नहीं रहेगी। अंग्रेजी अखबार एक तरह से माइंड स्पेस का प्रतिनिधित्व करते हैं जबकि हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के अखबार और पत्रिकाएं मार्केट स्पेस के केंद्र में हैं।
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