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छ्त्तीसगढ के प्रशासनिक आतंकवाद को किसका संरक्षण ?

मीडिया            Jun 30, 2015


रायगढ से किशोर कर छत्तीसगढ की रमन सरकार को विभिन्न योजनाओं के बेहतरीन क्रियान्वयन को लेकर देश भर मे ख्याति हासिल हुई है लेकिन पत्रकार उत्पीड़न के मामले मे भी अब इस सरकार की चर्चाऐं देशभर मे हो रही है । विगत 22 जून को प्रदेश के रायगढ जिले के खरसिया नगर में एक पत्रकार परिवार को जिस तरह से प्रशासनिक आतंक का शिकार होना पडा वह छत्तीसगढ मे चल रहे प्रशासनिक आतंकवाद को उजागर करता है साथ ही शासन सत्ता पर नौकरशाही के हावी होने का प्रमाण भी प्रस्तुत करता है । खरसिया का एक पत्रकार परिवार अपने अजन्मे शिशु की जानलेवा हमले से हुई मौत पर आरोपी के खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज कराने की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठा ही था की प्रशासन ने आतंकवादी कहर बरपाना शुरू कर दिया। सबसे पहले महिला पत्रकार व उनके पति को जेल मे डाल दिया गया व अबोध बच्चो को भरी बारिश मे घर से बाहर निकाल घर तोड कर बेघर कर दिया गया । यह सब छत्तीसगढ मे आतंक का पर्याय बन चुके प्रशासनिक अफसरों की मौजूदगी मे हुआ जहा एक पत्रकार परिवार को तबाह करने एक सीएमओ,एसडीएम, कलेक्टर और पुलिस के आला अफसर एकजुट हो पत्रकार परिवार को बेघर करने मे तमाम कार्य छोड कर जुटे हुऐ थे। aarti-kharasiya-house अब सवाल उठता है की प्रशासन को पत्रकार परिवार को उजाडने का आदेश शासन के किस नुमांइंदे ने दिया ? जाहिर है छ्त्तीसगढ की रमन सरकार भी उस नुमाइंदे के हाथों की कठपुतली बनकर रह गई है । पत्रकार परिवार के साथ हुई इस ज्यादती से रमन सरकार की देशभर में किरकिरी हो रही है वहीं तमाम पत्रकार संगठन व देशभर के पत्रकार प्रदेश सरकार के प्रशासनिक गुंडों द्वारा अंजाम दी गई इस घटना की निंदा करने के साथ ही सरकारी तंत्र की नाकामी पर सवाल खडे कर रहे हैं। आखिर प्रदेश सरकार की यह कौन सी नीति है एक पत्रकार को नेस्तनाबूत कर देना ?यह भी सवाल खडा होता है कि क्या सरकारी तंत्र को दीमक की तरह चट करने वाले भ्रष्ट नौकरशाहों के काले कारनामों को उजागर करने की रमन सरकार ने इतनी बडी सजा तय कर दी है ? क्या प्रदेश की यह सरकार भ्रष्टाचारियों का संरक्षक बन चुकी है ? कलम की आवाज को कुचले का यह सरकारी प्रयास निश्चित तौर पर इस सरकार के लिए आगामी दिनो घातक साबित होगा ऐसा अंदेशा है । एक पत्रकार परिवार को तबाह करने वाले तमाम नौकरशाहों पर दंडात्मक कार्रवाही किया जाना होगा अन्यथा की स्थिति मे कलम की सच्चाई को दबाने का कुत्सित प्रयास निरंतर चलता रहेगा जो समाज के लिए घातक होगा।


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