अब सवाल उठता है की प्रशासन को पत्रकार परिवार को उजाडने का आदेश शासन के किस नुमांइंदे ने दिया ? जाहिर है छ्त्तीसगढ की रमन सरकार भी उस नुमाइंदे के हाथों की कठपुतली बनकर रह गई है ।
पत्रकार परिवार के साथ हुई इस ज्यादती से रमन सरकार की देशभर में किरकिरी हो रही है वहीं तमाम पत्रकार संगठन व देशभर के पत्रकार प्रदेश सरकार के प्रशासनिक गुंडों द्वारा अंजाम दी गई इस घटना की निंदा करने के साथ ही सरकारी तंत्र की नाकामी पर सवाल खडे कर रहे हैं।
आखिर प्रदेश सरकार की यह कौन सी नीति है एक पत्रकार को नेस्तनाबूत कर देना ?यह भी सवाल खडा होता है कि क्या सरकारी तंत्र को दीमक की तरह चट करने वाले भ्रष्ट नौकरशाहों के काले कारनामों को उजागर करने की रमन सरकार ने इतनी बडी सजा तय कर दी है ?
क्या प्रदेश की यह सरकार भ्रष्टाचारियों का संरक्षक बन चुकी है ?
कलम की आवाज को कुचले का यह सरकारी प्रयास निश्चित तौर पर इस सरकार के लिए आगामी दिनो घातक साबित होगा ऐसा अंदेशा है । एक पत्रकार परिवार को तबाह करने वाले तमाम नौकरशाहों पर दंडात्मक कार्रवाही किया जाना होगा अन्यथा की स्थिति मे कलम की सच्चाई को दबाने का कुत्सित प्रयास निरंतर चलता रहेगा जो समाज के लिए घातक होगा।
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