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जब स्टार स्तंभकार नहीं समझे इंदौरी कूट संकेत

मीडिया            Apr 14, 2015


विपुल रेगे दो दिन पहले गुलज़ार का इंदौर आना हुआ था। माहौल बहुत अच्छे कार्यक्रम का बन गया था लेकिन दैनिक भास्कर के स्टार स्तम्भकार कपूर भक्त ने सारा खेल बिगाड़ दिया। एक शायर पर बोलने के लिए फिल्मों पर लिखने वाले को बुलवा लिया गया। लगातार बीस मिनट तक अनर्गल प्रलाप सुनने के बाद इन्दोरियों ने ताली बजाना शुरू कर दिया जो कि 'इन्दोरी कूट संकेत' होता है। इसका मतलब बोलने वाले से कहा जा रहा होता है कि अपना स्थान ग्रहण कीजिये। लेकिन कपूर भक्त इसे तारीफ़ समझ बैठे और दुगने जोश से गुलज़ार की नजाकत की चीरफाड़ करते रहे। अब क्या किया जाए, डोलते-लड़खड़ाते कार्यक्रम को कैसे संभाला जाये। आख़िरकार गुलज़ार ही अपनी सीट से खड़े हो गए। तब भक्त को समझ आया कि उन्हें अब बैठने के लिए कहा जा रहा है। कोई तो मज़बूरी रही होगी कि संचालक को शायरी की समझ रखने वालों के बजाय कपूर भक्त को मंच पर बुलाना पड़ा। इस घटना के बाद गुलज़ार साहब को अपना पुराना लिखा याद आ गया होगा। ' कभी-कभी कोई शाम इतनी बाँझ होती है कि कुछ भी देकर नहीं जाती।'


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