Breaking News
Sun, 18 May 2025

नहीं रहीं आकाशवाणी इन्दौर की लोकप्रिय उद्घोषक इंदु आनंद

मीडिया            Jan 27, 2016


विनोद नागर 70 और 80 के दशक में आकाशवाणी इन्दौर की लोकप्रिय उद्घोषक रहीं इंदु आनंद अब हमारे बीच नहीं रहीं। लंबे अरसे से थॉयराइड और आईबीएस जैसी बीमारी झेल रहीं इन्दुजी ने 70 साल की उम्र में गणतंत्र दिवस पर सुबह चार बजे कार्डियक अरेस्ट के दौरान इस दुनिया को अलविदा कह दिया। आकाशवाणी इंदौर में 1965 से 1992 तक उद्घोषक के रूप में अपनी सेवाएं देने के बाद उन्होंने स्वास्थ्यगत कारणों से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। आकाशवाणी इन्दौर में अपनी दिलकश आवाज़ के ज़रिये श्रोताओं के दिलों पर राज करनेवाली इन्दुजी की सुरीली आवाज़ ने उन्हें अपने छात्र जीवन में इन्दौर के क्रिश्चियन कॉलेज में 'वॉइस ऑफ़ लता' अवार्ड दिलवाया था। इन्दुजी मूलतः महू की रहनेवाली थी। अक्सर उन दिनों महू के लोग ट्रेन से इंदौर आना जाना करते थे। महू-इन्दौर शटल जिसे चलताऊ भाषा में अद्धा भी कहा जाता था, के उस डिब्बे में ज्यादा भीड़ होती थी जिसमे इन्दुजी सफ़र के लिए चढ़तीं। ये थी उन दिनों के रेडियो एनाउंसर की सितारा हैसियत जिसे इन्दुजी और उनके समकालीन उद्घोषकों ने भरपूर जीया। इन्दुजी ने 1982 में अपने सहकर्मी एनाउंसर संतोष जोशी से प्रेमविवाह किया था। उन दिनों आकाशवाणी इन्दौर के प्रसारण में महिला उद्घोषकों के रूप में इंदु आनंद, शारदा साइमन, सुदेश हिंदुजा का बड़ा दबदबा था। बाद में इसी कड़ी में निम्मी माथुर, मधु (पूरा नाम देवेंदरकौर मधु) सहित कई और नाम जुड़े। संदीप श्रोत्रिय की लिखी आकाशवाणी इन्दौर की राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त प्रस्तुति "उस लड़की का नाम क्या है" में इन्दुजी ने मुख्य किरदार बड़े प्रभावी ढंग से निभाया था। भावुकता में बहते हुए इन्दुजी के जीवन साथी संतोष जोशी फ़ोन पर बताते हैं - " चरणजीत के निर्देशन में उन दिनों आकाशवाणी इन्दौर द्वारा स्टेज पर 'लहरें' शीर्षक से नाट्य प्रस्तुतियों में भी इन्दुजी ने सक्रीय भागीदारी निभाई और कुछ कड़ियों का लेखन भी किया। इनकी रिकॉर्डिंग बाद में रेडियो पर प्रसारित होतीं।" इन्दुजी द्वारा प्रस्तुत "मन भावन" कार्यक्रम का तो नाचीज़ भी दीवाना रहा युववाणी वाले दौर में। नियमित समाचार वाचकों सर्वश्री संदीप श्रोत्रिय व बाबूराम मरकाम के अवकाश के दौरान खाकसार द्वारा सम्पादित कुछ प्रादेशिक समाचार बुलेटिन भी इन्दुजी ने बखूबी पढ़े बतौर एओडी (एनाउंसर ऑन ड्यूटी)। विनोद नागर के फेसबुक वॉल से


इस खबर को शेयर करें


Comments