मल्हार मीडिया ब्यूरो
सहारा मीडिया में कार्यरत एम्पलॉइज अब क्या करें और क्या न करें की स्थिति से गुजर रहे हैं। पिछले पखवाड़े यूनियन के प्रतिनिधियों से सहारा प्रमुख से हुई वार्ता बेनतीजा ही रही। सहारा प्रमुख द्वारा असमर्थता जताने के बाद कोई भी ठोस आश्वासन न मिलने के कारण अब कर्मचारी नाउम्मीद हो गये हैं। ऐसे में कर्मचारी खुद को बेसहारा महसूस कर रहे हैं।
लिहाजा यूनियन ने तय किया है कि 21 अक्टूबर से सिर्फ अखबार का एक ही एडिशन यानी मास्टर एडिशन ही तैयार किया जाएगा। यूनियन का कहना है कि अब कर्मचारी सिर्फ सांकेतिक तौर पर काम करेंगे। ऐसे में सहारा के चैनलों पर भी पूरे दिन में एक ही लाइव बुलेटिन प्रसारित किया जाएगा।
बताया जा रहा है कि कल कुछ एम्पलॉइज को उनकी एक-तिहाई सैलरी जरूर मिल गई है, पर पिछले आठ महीनों से सैलरी के लिए जूझ रहे एम्पलॉइज अब नियमित सैलरी चाहते हैं। कहा जा रहा है कि 15 दिनों के बाद यूनियन दिल्ली में जंतर-मंतर से लेकर संसद के सामने सहारा प्रबंधन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगी और सुप्रीम कोर्ट में भी अपना पक्ष रखेगी।
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