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पत्रकारिता के लिये गंभीर चेतावनी,मीडिया संस्थानों से संपादकों को विलुप्त होते जाना

मीडिया            Apr 20, 2016


मल्हार मीडिया ब्यूरो। लोकतंत्र के चार स्तंभ है। तीन स्तंभ घोषित हैं और एक को अपने आप ही रख दिया गया, जिसे मीडिया का नाम दिया गया। मीडिया की भूमिका है कि वे देश के जनता के हित के लिए कार्य करें, लेकिन बाजार का दबाब भी है मीडिया पर। मीडिया को जनता की भलाई के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए।’एक कार्यक्रम के दौरान ये बात राज्यसभा टीवी के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर राजेश बादल ने कही। आईटीएम यूनिवर्सिटी ग्वालियर में आयोजित एडिटर्स कॉन्क्लेव में देश के नामचीन संपादकों ने हिस्सा लिया, जहां स्टूडेंट्स को मीडिया के भूमिका के बारे में विस्तार से बताया गया। अपने संबोधन में राजेश बादल ने कहा कि मीडिया को आज बाजार ने जकड़ लिया है। बाजार के दबाव का ही नतीजा है कि साल 2016 में चैनल इंडस्ट्री का 10 लाख करोड़ का कारोबार है। उन्होंने कहा कि हम पैसे से मुंह नहीं मोड़ सकते। साथ ही उन्होंने कहा कि 80 से 90 तक कार्यकाल पत्रकारिता का स्वर्ण युग था। उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय राजेन्द्र माथुर और सुरेन्द्र प्रताप सिंह को याद करते हुए कहा कि उस समय ऐसे लोगों की वजह से पत्रकारिता ने ऊंचाई को छुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि आज राजेन्द्र माथुर और सुरेन्द्र प्रताप सिंह जैसे लोग होते तो आज की व्यवस्था को स्वीकार नहीं करते। उन्होंने कहा कि पिछले 15 साल में जिस तेजी से क्रांतिकारी बदलाव हुए उसके लिए हम तैयार नहीं थे। उन्होंने कहा कि देश के मीडिया संस्थानों में इन दिनों संपादक तेजी से विलुप्त होते जा रहे हैं। उनकी जगह बाजार को ध्यान में रखकर काम करने वाले प्रबंधकों ने ले ली है। पत्रकारिता के लिए यह एक गंभीर चेतावनी है। इससे निपटने के लिए प्रयास होने चाहिए।


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