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पत्रकारों ने किया बहिष्कार तो फैसला बदलना पड़ा सरकार को

मीडिया            Dec 07, 2015


मल्हार मीडिया मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र आज शुरू होते ही मीडियाकर्मी और सरकार आमने—सामने आ गये। दरअसल मध्यप्रदेश विधानसभा के सूचना अधिकारी के आदेशानुसार प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिये अलग—अलग पत्रकार वार्ता कक्ष बना दिये गये। इसके अलावा कैमरामेन एवं फोटोग्राफर्स को प्रवेश द्वार के आसपास फोटोग्राफी करने और बाईट आदि लेने के लिये प्रतिबंधित कर दिया गया था। media-vidhansabha-bhopal इस मामले में दिलचस्प बात ये रही कि सरकार के लोगों ने विधानसभा की पत्रकार कमेटी से भी इस बारे में राय नहीं ली। लिहाजा हंगामा तो तय था। इसलिये सत्र शुरू होते ही विधानसभा के प्रवेश द्वार पर ही कैमरामैन,फोटोग्राफर्स और न्यूज चैनल के रिपोटर्स धरने पर बैठ गये और कवरेज का बहिस्कार कर दिया। इसे मीडिया की आजादी में बाधा मानते हुये सदन के भीतर कांग्रेस विधायक आरिफ अकील ने मीडिया पर लगाया हुआ आपातकाल कह दिया। जिसके जवाब में सरकार की तरफ से मंत्री नरोत्तम ​मिश्रा ने कहा कि मीडिया को प्राथमिकता दी जायेगी और आगे भी ध्यान रखा जायेगा आपातकाल जैसी कोई बात नहीं है। media-vidhansabha-bhopal-1 सत्र खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने धरने पर बैठे मीडियाकर्मियों से बात की और कहा कि मीडिया के लिये जो व्यवस्था पहले थी वही दोबारा बहाल की जायेगी। इससे पहले खबर मंत्री नरोत्तम मिश्र एवं उमाशंकर गुप्ता और कांग्रेस के विधायक अजय सिंह ने भी पत्रकारों से मिलकर बात की थी। vidhansabha-order-for-media बहरहाल इस पूरे मामले में सवाल यह उठता है कि आखिर सरकार को मीडिया को इस तरह बांटने की क्या जरूरत पढ़ गई और हर बात में मीडिया वालों को पत्रकार कमेटी का हवाला देने वाले विधानसभा स्टाफ ने इस मामले में पत्रकार कमेटी से राय जरूरी लेना नहीं समझा मगर क्यों?


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