प्रशासन का कहर यहीं नहीं रुका आज नगर निगम ने आरती और उनके पति की गैर मौजूदगी में घर में सो रहे बच्चों को बाहर निकाला और जेसीबी मशीन से उनका मकान मय सामान के जमींदोज कर दिया। इस तोडफोड की जनकारी प्रभारी कलेक्टर क्षीर सागर को दी गई उन्होंने इसे रोकने के आदेश जारी किये लेकिन तब तक आरती का आशियाना उजड चुका था।
फिलहाल आरती और उनके पति भूपेंद्र वैष्णव को पुलिस ने रायगढ जेल में रख हुआ है और उनके बच्चे परिचितों के पास हैं।
इस पूरे मामले को देखते हुये ऐसा लगता है कि प्रशासन द्वारा पूरी कार्रवाई किसी पूर्वाग्रह के चलते की जा रही है। आरती वैष्णव का घर तोडे जाने के कारण कभी न कभी नगर निगम और स्थानीय प्रशासन भी कटघरे में होंगे क्योंकि आरती वैषणव का घर नजूल की भूमि पर बना हुआ है और उसका केस अभी न्यायालय में विचाराधीन है।
बहरहाल इस पूरे मामले में शासन प्रशासन की भूमिका तो संदेह के घेरे में है ही सवाल स्थानीय पत्रकार संगठनों पर उठना भी लाजिमी है कि एक महिला पत्रकार भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष को लगातार अनदेखा किया जा रहा है जो कि उनके अस्तित्व पर ही सवालिया निशान है।
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