 संदीप वर्मा
रवीश कोई अकेले या पहले पत्रकार नहीं है जिन्हें सोशल मीडिया पर अपमानजनक भाषा का सामना करना पड़ रहा है। मगर रवीश शायद पहले महत्वपूर्ण और प्रसिद्द टीवी एंकर हैं जिन्होंने पूरी घोषणा के साथ लम्पट भाषा के विरोध में सोशल मीडिया पलायन करके अपना विरोध दर्ज कराया है। यह कुछ ऐसा ही है जब किसी आतंकवादी-दंगाई को सामने देखकर कोई उसके विरोध में अपने हाथ की कलम या अन्य कोई हथियार जमीन पर फेंककर अपने चहरे पर घूघट ओढ़ ले।
सोशल मीडिया पर अगर साम्प्रदायिक लम्पट तत्वों की भरमार है तो उनसे लोहा लेने वाले ऐसे भी लोग हैं जिन पर किसी तरह का पत्रकार होने का लेबल नहीं लगा है। ऐसे लोग इन लम्पट तत्वों से हर स्तर पर ना सिर्फ लोहा ले रहे है बल्कि उनकी लम्पट भाषा का सामना भी पूरी दिलेरी से कर रहे है । मुझे उम्मीद है ऐसे लोग रवीश की पलायन की राजनीति का विरोध करेंगे।
रवीश के पलायन से अगर लम्पट तत्व अपना स्वभाव बदल लेते हैं तब तो रवीश का यह रणछोड़ तरीका कामयाब माना जाएगा । मगर ऐसा नहीं होने पर इन लम्पट तत्वों को खुला खेल खेलने देने के लिए रवीश को जिम्मेदार भी माना जा सकता है ।
जब देश और समाज पर संकट आयद हो तो घर में छुपकर बैठना कानूनन भले ना हो मगर सामाजिक अपराध जरूर है। आप दुष्ट आत्माओं का विरोध ना करके दुष्ट शक्तियों के साथ भी खड़े दिखते हैं।
उम्मीद है जैसे दिल्ली चुनाव के पहले महज एक इन्टरव्यू ने दिल्ली के चुनाव की तस्वीर बदल दी थी , रवीश की ऐसी ही कोई रिपोर्ट उनके प्यारे बिहार को लुटने से बचाएगी
संदीप वर्मा
रवीश कोई अकेले या पहले पत्रकार नहीं है जिन्हें सोशल मीडिया पर अपमानजनक भाषा का सामना करना पड़ रहा है। मगर रवीश शायद पहले महत्वपूर्ण और प्रसिद्द टीवी एंकर हैं जिन्होंने पूरी घोषणा के साथ लम्पट भाषा के विरोध में सोशल मीडिया पलायन करके अपना विरोध दर्ज कराया है। यह कुछ ऐसा ही है जब किसी आतंकवादी-दंगाई को सामने देखकर कोई उसके विरोध में अपने हाथ की कलम या अन्य कोई हथियार जमीन पर फेंककर अपने चहरे पर घूघट ओढ़ ले।
सोशल मीडिया पर अगर साम्प्रदायिक लम्पट तत्वों की भरमार है तो उनसे लोहा लेने वाले ऐसे भी लोग हैं जिन पर किसी तरह का पत्रकार होने का लेबल नहीं लगा है। ऐसे लोग इन लम्पट तत्वों से हर स्तर पर ना सिर्फ लोहा ले रहे है बल्कि उनकी लम्पट भाषा का सामना भी पूरी दिलेरी से कर रहे है । मुझे उम्मीद है ऐसे लोग रवीश की पलायन की राजनीति का विरोध करेंगे।
रवीश के पलायन से अगर लम्पट तत्व अपना स्वभाव बदल लेते हैं तब तो रवीश का यह रणछोड़ तरीका कामयाब माना जाएगा । मगर ऐसा नहीं होने पर इन लम्पट तत्वों को खुला खेल खेलने देने के लिए रवीश को जिम्मेदार भी माना जा सकता है ।
जब देश और समाज पर संकट आयद हो तो घर में छुपकर बैठना कानूनन भले ना हो मगर सामाजिक अपराध जरूर है। आप दुष्ट आत्माओं का विरोध ना करके दुष्ट शक्तियों के साथ भी खड़े दिखते हैं।
उम्मीद है जैसे दिल्ली चुनाव के पहले महज एक इन्टरव्यू ने दिल्ली के चुनाव की तस्वीर बदल दी थी , रवीश की ऐसी ही कोई रिपोर्ट उनके प्यारे बिहार को लुटने से बचाएगी 
                   
                   
	               
	               
	               
	               
	              
Comments