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वरिष्ठ पत्रकार सईद खान का जाना, सईद से हमसईद होना जरूरी

मीडिया            Mar 14, 2016


मल्हार मीडिया। हिंदुस्तान टाईम्स के वरिष्ठ पत्रकार सईद खान का कल रविवार शाम दिल्ली के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। आज सुबह 10 बजे भोपाल में उन्हें सुपुर्द—ए—खाक कर दिया गया। वे लंबे समय से लिवर सिरो​सिस की बीमारी से जूझ रहे थे। navin-rangiyalपत्रकार सईद के साथी नवीन रांगियाल ने यह यादें साझा की थीं 20 फरवरी 2015 को जब उन्हें सईद की बीमारी का पता चला था। सईद से हमसईद। सईद एक अच्छे पत्रकार। बेहद जहीन, संजिदा और बेहतरीन इंसान। भरी धूप और दोपहर में कान में हेडफोन लगाए कई बार लगातार उन्हें अपनी खबर की बीट पर ईमानदारी से काम करते हुए देखा जा सकता है। पता नहीं कब और कहां उनसे मुलाकात हुई। शाम को उनके हिंदुस्तान टाइम्स के ऑफिस में कई बार मिलने जाता था, लेकिन वे तभी बाहर आते थे जब वे अपनी पूरी खबर लिख चुके होते थे। ऑफिस के बाद रात में उनके साथ लंबी बातचीत। मदनी में खाना और पैदल घुमते हुए फिर से बातचीत। हिंदी हो या अंग्रेजी। पूरी नफासत के साथ ठहरकर बोलना और उसी तरह ठहरकर धीरे-धीरे चलना। देर रात तक जागना। किताबें पढ़ना और संगीत सुनना। सईद के कमरे से उनके जीने का अंदाजा लगाया जा सकता है। कमरा जितना बेतरतीब उनका जीना उतना ही सलीकेदार। अंग्रेजी के तकरीबन सैंकड़ों नॉवेल। माइकल जेक्सन से लेकर लेड जेपलीन, अमेडियस मोत्सार्ट, बीटल्स, बिथोवन और नुसरत की कव्वाली से लेकर और भी कई प्रांतों के अलग-अलग वेस्टर्न म्यूजिक की सैंकड़ों सीडियां। कई किताबें। जीने से भी ज्यादा जीना। इतना ही नहीं है सईद का होना। इससे भी कहीं ज्यादा बहुत ज्यादा। जो कहा नहीं जा सकता। लिखा नहीं जा सकता। एक आदमी का होना उससे भी कहीं ज्यादा होना होता है जितना हम उसके होने को जानते हैं। सईद एक अच्छे पत्रकार। बेहद जहीन, संजिदा और बेहतरीन इंसान। लीवर सिरोसिस की बीमारी ने जकड़ा है। लीवर प्रत्यारोपण ही एकमात्र इलाज है। इनके भाई अकबर ने अपना लीवर देने के लिए कहा है। इलाज के लिए 21 लाख रुपए की जरूरत। एक भरीपूरी जिंदगी को उसी तरह भरीपूरी बनाए रखने के लिए। हमसईद। हमसईद का होना जरुरी है। उस समय सोशल नेटवर्किंग साइट्स फेसबुक और व्हाट्सप्प के ज़रिये भी "हमसईद" के लिए पैसा इकठ्ठा करने की कोशिशें की जा रही थीं। कया कितना हुआ इसकी जानकारी तो नहीं मिल पाई। लेकिन सईद खान चले गये। खूब मीठा खाकर तीखा सच बोलने वाला खूब मीठा खाकर तीखा सच बोलने वाला कलम का सच्चा सेवक चला गया। फक्कड़ मिजाजी, हाजिर जवाबी, खुल्लम खुल्ला बखिया उधेड़कर रख देना, प्रेस कांफ्रेंस का रुख बदलकर रख देना, अफसरों को उन्ही के लफ़्ज़ों में बाँध देना, बाल की खाल ऐसी निकलना कि विषय के जानकार भी दांतों तले उंगलियां दबा लें...ये सब खूबियों से लबरेज़ इंसान। कम पढ़ा लिखा लेकिन अंग्रेजी, उर्दू, हिंदी और मोबाइल व् कंप्यूटर टेक्नोलॉजी पर बला की पकड़, ऐसी की जानकार भी उनके ज्ञान पर रश्क करें। व्हाट्सएप्प पर पत्रकारों द्वारा साझा किए गये अनुभव


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