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व्यापमं से भी बडे यूपी के घोटाले को नहीं देख पा रहे संजय शर्मा

मीडिया            Jul 25, 2015


अवनींद्र सिंह अमन बात 4pm अख़बार के संजय शर्मा जी की नही बल्कि लखनऊ के एनजीओ संचालक संजय शर्मा और उनके कुछ पालतुओं ने अमिताभ-नूतन के मुद्दे को ऐसे उछाला है जैसे व्यापमं के पैसे अमिताभ-नूतन के पास है। एक एनजीओ से ऐसी ही उम्मीद की जा सकती है कि वह सरकार की चमचागिरी ही करेगा तभी उसके घर की दाल रोटी चलेगी। संजय शर्मा को गायत्री प्रजापति के कारनामे, यादव सिंह मामले को मजिस्ट्रेट जांच कराकर सपा द्वारा उसे बचाए जाने का प्रयास नही दिखता, आईएएस दुर्गानागपाल के साथ अखिलेश का रवैया लगता है भूल गया। पत्रकार को जिंदा जलाए जाने के मुख्यारोपी कैबिनेट मंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा भूल गए, थानो में जिंदा जलाए जाने वाली महिला की घटना लगता है संजय भूल गए। सूबे में ध्वस्त हो चुकी कानून-व्यवस्था को लगता है संजय भूल गए यदि नही भूले तो सरकार की ख़ामियों को गिनाने की उनकी हिम्मत नही। राज्य में नौकरियों में नयुक्तियों और भर्तियो में यादवो के कब्जे की यदि स्वतंत्र जांच हो जाए तो यह व्यापमं से बड़ा घोटाला सामने आएगा। संजय शर्मा का केवल अमिताभ और नूतन ठाकुर के खिलाफ ऐसे कारनामे यह सिद्ध करते है कि संजय अपना व्यक्तिगत गुस्सा निकाल रहा है या फिर सपा द्वारा ठाकुर दंपति को परेशान करने के लिए भेजा गया उनका दलाल। अवनींद्र सिंह अमन के फेसबुक वॉल से


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