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सलमान की जमानत को यशवंत की चुनौती, कोर्ट को दिखायेंगे आईना

मीडिया            May 13, 2015


मल्हार मीडिया ब्यूरो 13 साल से चल रहे हिट एंड रन मामले में सलमान खान को जिस तरह से घंटों में जमानत मिल गई उससे पूरा देश भौंचक्का रह गया। लगातार यह बात कही जा रही है कि क्या सलमान की जमानत के पीछे कोई बड़ा हाथ है। बहरहाल सलमान की जमानत को चुनौति दी है एक पत्रकार ने। ये अभी तक मीडिया में रहकर मीडिया को आईना दिखाते रहे हैं और अब उन्होंने कोर्ट को आईना दिखाने का बीड़ा उठाया है। जी हॉं! मीडिया पोर्टल भड़ास फॉर मीडिया के संपादक यशवंत सिंह की तरफ से उनके वकील उमेश शर्मा ने सलमान खान को मिली तुरत-फुरत जमानत के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है। याचिका में यह प्रश्न मूल रूप से उठाया गया है कि क्या कानून सभी के लिए बराबर है? अगर ऐसा है तो सेशन कोर्ट के जज साहब ने एक दिन में ही दोनों आदेश क्यों पारित किया जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 1989 में ही कहा था कि ऐसे मामलों में अदालत को दोनों आदेश दो दिनों में पारित करने चाहिये। Allauddin Mian vs State of Bihar [1989 SCC (3) 5] के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया प्रावधान इस प्रकार है- “We think as a general rule the Trial Courts should after recording the conviction adjourn the matter to a future date and call upon both the prosecu- tion as well as the defence to place the relevant material bearing on the question of sentence before it and thereafter pronounce the sentence to be imposed on the offender. In the present case, as pointed out earlier, we are afraid that tile learned Trial Judge did not attach sufficient importance to the mandatory requirement of sub-section (2) of Section 235 of the Code.” सेशन कोर्ट के जज के ऐसा करने की वजह से आर्डर की कॉपी उसी दिन उपलब्ध नहीं हो सकी और हाई कोर्ट ने इसी तर्क के आधार पर जमानत दे दी। ऐसा प्रतीत होता है कि यह सब जानबूझ कर सलमान को फायदा पंहुचाने के लिए किया गया और उनको फायदा पंहुचा भी दिया गया। सेशन कोर्ट के जज साहब शाम को सात बजे तक अपने द्वारा जान बूझ कर की गई गलती से सृजित होने वाले बेल आर्डर का इंतजार क्यों करते रहे और क्या उन्होंने ऐसा पहले कभी किया है? क्या हाई कोर्ट बिना फैसले की कॉपी के अपील सुन सकती है और सजा टाल सकती है? कोई भी अपील हाई कोर्ट के सामने बिना फैसले के कॉपी को सलंग्न किए बिना अदालत के सामने रखी ही नहीं जाती है तो इसमें ऐसा क्यों किया गया और क्या पहले ऐसा किया गया है और क्या आगे ऐसा किया जायेगा? क्या हाई कोर्ट सलमान खान के अपील को पंद्रह जुलाई को फैसले के लिये भेज सकता है और इस बात की परवाह किये बिना कि हजारों अपीलें लाइन में लगी अपने सुनवाई का इंतजार कर रहीं हैं और उनके मुलजिम जेलों में बैठे हैं। क्या अदालतें जो समानता का अधिकार दिलवाती हैं वो खुद समानता के अधिकार का हनन कर सकती हैं। जनहित याचिका के साथ सोशल मीडिया में न्यायालय के खिलाफ की गईं नकारात्मक टिप्पणियों की प्रति भी संलग्न की गई है ताकि कोर्ट आइना देख सके।


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