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सीएमओ का भ्रष्टाचार उजागर करने की सजा, महिला पत्रकार ने खोया तीन माह का गर्भस्थ शिशु

मीडिया            Jun 18, 2015


मल्हार मीडिया ब्यूरो पत्रकारों पर हमले होना कोई नई बात नहीं रह गई है। मध्यप्रदेश के पडोसी राज्य छत्तीसगढ के रायगढ जिले के खरसिया की एक महिला पत्रकार भी अपनी दबंग रिपोर्टिंग के कारण हमलों का शिकार हुई। नगरपालिका की सीएमओ की अनियमित्ताओं को सामने लाने काा खामियाजा आरती को अपना तीन माह का गर्भस्थ ​शिशु खोकर चुकाना पडा। आरती वैष्णव पर जब ये हमला हुआ वह तीन महीने की गर्भवती थीं, इस हमले में उनके गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई। थाने से लेकर महिला आयोग,मानवाधिकार आयोग तक का दरवाजा खटखटा चुकीं आरती को क​हीं न्याय नहीं मिल पाया और भ्रष्टाचारी आज भी अपनी जगह पर काबिज हैं। [caption id="attachment_7340" align="alignnone" width="300"]आरती वैष्णव पर जब ये हमला हुआ वह तीन महीने की गर्भवती थीं, इस हमले में उनके गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई। आरती वैष्णव पर जब ये हमला हुआ वह तीन महीने की गर्भवती थीं, इस हमले में उनके गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई।[/caption] आरती वैषण्व के मुताबिक ये घटना गत वर्ष 8 मार्च 2014 की है उस समय मैं एक दैनिक कुशाग्रता समाचार पत्र में लिखती थी । नगरपालिका में व्याप्त अव्यव्स्थाओं और गडबडियों के खिलाफ मैंने और मेरे पति भूपेन्द्र किशोर वैष्णव जो उस समय रायगढ़ सन्देश के संवाददाता थे। दोनों ने समाचार लगाये थे । वे सारे समाचार मुख्य नगरपालिका अधिकारी कृष्णा खटिक द्वारा बरती गई अनियमितताओं के बारे में थे। 8 मार्च 2014 को रात्रि 7 बजे सीएमओ कृष्णा खटिक उसके पति राजकपूर कछवाहा,भरत राठोर,रमेश अग्रवाल, राजेश शर्मा,धनसाय यादव, राजस्व निरीक्षक आर के अहिरवार के साथ मिलकर मेरे घर में घुसकर मुझ पर हमला किया मार पीट की मेरे साथ गाली—गलौच करते हुए छेड़छाड़ भी की। जिस समय यह हमला हुआ मैं घर पर अकेली थी। उस समय मै गर्भवती थी 3 माह की। मारपीट के बाद मैं बेहोश हो गई। जब मेरे पति घर आये तो उन्होंने कुछ दुकानदारों के साथ मुझे खरसिया चौकी लेकर गये वहाँ हमने शिकायत दर्ज कराने के लिए कहा तो चौकी प्रभारी राकेश मिश्रा व sdop पूजा अग्रवाल के द्वारा एफआईआर दर्ज करने से यह कहते हुये मना कर दिया कि जांच के बाद एफआईआर की जायेगी। आरती ने आगे बताया कि हमलोग 11 बजे रात तक चौकी में बैठे रहे मेरे पति भूपेन्द्र किशोर वैष्णव ने गृह मंत्री रामसेवक पैकरा को फोन लगाकर पूरी घटना बताई तो उनके कहने पर एफआईआर दर्ज हुई लेकिन सीएमओ कृष्णा खटीक और 4-5 लोगों का नाम f i r में नहीं लिखा गया। [caption id="attachment_7342" align="alignnone" width="266"]सीएमओ खरसिया कृष्णा खटीक सीएमओ खरसिया कृष्णा खटीक
[/caption] उस घटना के लगभग डेढ साल बाद भी उक्त आरोपियों के नाम एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। आरती ने आगे बताया कि उसी रात को ही मेरी तबियत बाद में बिगड़ने लगी मुझे रक्तस्राव होने लगा मैंने एसडीओपी पूजा अग्रवाल को बताया तो उन्होंने कहा ये आपका निजी मामला है। तब मेरे पति ने मुझे रायगढ़ में डॉ प्रिय अग्रवाल के हॉस्पिटल में एडमिट कराया मैं बेहोश ही थी सुबह 8 बजे तक होश आने पर पता चला कि मेरा बच्चा अब नहीं रहा। सीएमओ द्वारा किये गये हमले के कारण ये हुआ लेकिन पुलिस ने उसपर कोई मामला बनाने के बजाय उलटे हम दोनों व हमारे गवाहों के खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया और दबाव बनाया गया केस वापस लेने का सीएमओ के साथ मिलकर चौकी प्रभारी ने उलटे हमलोगों पर मामला बनाया झूठा। आरती का कहना है मैंने अपना 3 माह का बच्चा खो दिया तब से आज 15 माह हो गये कोई मामला दर्ज नही हुआ है और अभी तक खरसिया में पदस्थ है कई बार महिला आयोग व मानवाधिकार आयोग से पत्र आया कार्यवाही के लिए पर स्थानीय पुलिस प्रशासन सीएमओ और उसके सहयोगियों को बचा रही है। मुख्मंत्री के पास भी शिकायत दर्ज कराई लेकिन नतीजा शून्य ही रहा। सीएमओ का पति राजकपूर कछवाहा 15 महीनों से फरार है । हमने सीएमओ पर हत्या का मामला दर्ज करने की मांग अपने शिकायत में की है । मामला वापस लेने सीएमओ ने मेरे मकान को तोड़ने की भी धमकी दी अगर केस वापस नहीं लेंगे तो मकान तोड़वा देगी । कहीं से कोई कार्यवाही इसके ऊपर नहीं हुई है न निलम्बन न एफआईआर दर्ज हुई। फिलहाल स्थानीय प्रशासन से निराश आरती वैष्णव ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है।


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