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सूचना सचिव की खबर छापना दृष्टांत को पडा महंगा,संपादक के घर का आवंटन निरस्त

मीडिया            Aug 07, 2015


मल्हार मीडिया ब्यूरो उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनउ में एक पत्रकार की राज्य के प्रमुख सचिव सूचना सचिव से खींचतान की लंबी कहानी है। लेकिन इसका चरम अब यह है कि हिंदी पत्रिका 'दृष्टांत' के संपादक अनूप गुप्ता और उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव सूचना नवनीत सहगल के बीच एक खबर को लेकर पैदा हुई रंजिश के कारण सहगल के इशारे पर अनूप गुप्ता का मकान आवंटन निरस्त कर दिया गया है। फिलहाल अनूप गुप्ता उसी मकान में रह रहे हैं। संभावना जताई जा रही है कि शासन की इस मनमानी को गुप्ता कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। ज्ञातव्य है कि अनूप गुप्ता ने अपनी पत्रिका दृष्टांत के दो अंकों में नवनीत सहगल के खिलाफ कवर स्टोरी छापी थी। स्टोरी में बताया गया था कि नवनीत सहगल ने अनेक बेगुनाहों को सत्ता के बल पर जेल भिजवा दिया था। इसके बाद सहगल ने गुप्ता के खिलाफ मानहानी का केस दायर कर दिया था, जिसमें उन्हें जैसे तैसे जमानत मिल पाई थी। कोई भी पत्रकार विज्ञापन के लालच में सहगल के प्रभाव का रिस्क लेने को तैयार नहीं था। इस समय मामला अदालत में विचाराधीन है। सहगल दो तारीखों 22 जुलाई और 2 अगस्त को कोर्ट नहीं गए हैं, जिससे उनका बयान दर्ज न होने के कारण अभी मामले की आगे कार्यवाही शुरू नहीं हो पा रही है। सूत्रों की मानें तो दो अगस्त को राज्य संपत्ति अधिकारी बृजराज यादव ने राजकीय आफीसर्स कालोनी, निराला नगर के सी-16 में रह रहे अनूप गुप्ता के मकान का आवंटन निरस्त कर दिया। अनूप गुप्ता मान्यता प्राप्त पत्रकार रहे हैं,लेकिन पिछले महीने उन्होंने अपनी मान्यता ये कहते हुए लौटा दी थी कि उन्हें सरकार या शासन का कोई एहसान या मदद नहीं चाहिए। अब उनके मान्यता प्राप्त पत्रकार न होने को ही मकान आवंटन निरस्त करने का आधार बनाया गया है। सूत्रों से पता चला है कि वह मकान खाली कर सकते हैं। नियमतः मान्यता प्राप्त पत्रकारों को ही मकान आवंटित होना चाहिए लेकिन लखनऊ में ऐसे करीब दर्जन भर लोग हैं जिनके पास अधिमान्यता न होने के बावजूद मकान हैं। यदि उनके मकान खाली नहीं कराए जाते हैं तो गुप्ता संभवतः इस मामले को हाईकोर्ट ले जा सकते हैं। बताया गया है कि अवैध तरीके से अनावंटित मकानों में इस वक्त रहने वालों में अन्य पत्रकारों के अलावा अमर उजाला, दैनिक जागरण के पूर्व संपादक और जागरण के मालिक तक हैं। यदि गुप्ता मामले को कोर्ट ले जाते हैं तो अन्य अवैध आवंटन भी निरस्त किए जाने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।


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