डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी।
शुक्रवार को दो-दो फ़िल्में 2 नंबर की लगी हैं। सन ऑफ़ सरदार 2 और धड़क 2 । पहले सरदारजी के दो नम्बरी पुत्तर की बात! तो, पाजी, सन ऑफ सरदार 2 ऐसा मसाला है जैसे हाईवे के लकदक ढाबे का ऐसा खाना, जो दिखे तो झन्नाट, पर खाओ तो फीका फस्स !
जस्सी भाई (अजय देवगन) इस बार स्कॉटलैंड की हरी-भरी वादियों में ठुमके लगाने पहुंचे हैं, लेकिन भई, ऐसा लगता है जैसे वो वहां गलती से कोई पुरानी बॉलीवुड स्क्रिप्ट की टोकरी में गिर गए। कहानी में मॉब वॉर है, सिख वेडिंग है और जस्सी का वो पुराना सरदार वाला स्वैग भी है, लेकिन ये सब मिलाकर ऐसा कॉकटेल बनता है जो ना तो ठीक से हंसाता है, ना रुलाता है, और ना ही दिल को छू पाता है। थोड़ा एक्शन, थोड़ा रोमांस और ढेर सारा पागलपन !
अजय देवगन तो भाई अपने सरदार लुक में फुल रौब झाड़ते हैं, लेकिन बेचारे को स्क्रिप्ट ने ऐसा उलझाया कि वो कभी बॉर्डर के सनी देओल बनने की कोशिश करते हैं, तो कभी रूसी सासु मां के पोल डांस से शॉक्ड होकर सिर पकड़ लेते हैं। मृणाल ठाकुर? अरे, वो तो बस सेट पर सजावट की तरह लगीं—न ज्यादा बोल, न ज्यादा रोल। रवि किशन और संजय मिश्रा को देखकर लगता है जैसे वो भी सोच रहे हों, “हमें यहां बुलाया क्यों?” मुकुल देव की आखिरी परफॉर्मेंस दिल छूती है, लेकिन वो भी स्क्रिप्ट के भंवर में फंस गए।
एक जट्ट सरदार है जो अपने गांव फगवाड़ा लौटता है ताकि अपनी पुश्तैनी जमीन बेच सके। लेकिन अरे, रुकिए! वहां पहुंचते ही उसे पता चलता है कि उसका परिवार और गांव का सबसे बड़ा खानदान—संधू परिवार—खून का प्यासा है, क्योंकि जस्सी के पिता ने सालों पहले उनके खानदान का कत्ल किया था। अब जस्सी को ना सिर्फ अपनी जान बचानी है, बल्कि संधू की बेटी सुख (सोनाक्षी सिन्हा) से प्यार भी करना है।
गाने? ओहो, वो तो ऐसे हैं जैसे कोई बारात में पुराना रिमिक्स बजा दे—न नाचने का मन करे, न सुनने का। और क्लाइमेक्स? वो तो ऐसा है जैसे कोई बिना नक्शे के पंजाब से स्कॉटलैंड पहुंच गया और रास्ते में कहानी भूल गया।
कुल मिलाकर, सन ऑफ सरदार 2 वो फिल्म है जो आपको हंसाने की कोशिश में थक जाएगी और आप 'पिच्चर' खत्म होने से पहले घड़ी देखने लगेंगे। है आपके पास ढाई घंटे बर्बाद करने की हिम्मत ? भाई, नेटफ्लिक्स पर पहला पार्ट दोबारा देख लो—वो असली माल है! इसमें अजय देवगन, सोनाक्षी सिन्हा, जूही चावला, संजय दत्त (कैमियो रोल में), मुकुल देव, विंदु दारा सिंह, रवि किशन, संजय मिश्रा आदि कलाकार हैं।
कुछ सीन थोड़े खींचे हुए लगते हैं, खासकर दूसरा हाफ में। लॉजिक? वो तो इस फिल्म में छुट्टी पर गया था।झेलनीय फिल्म।
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