Breaking News

स्वाभिमान सिद्ध यात्रा

मीडिया            Feb 22, 2016


चकरघिन्नी गुनाहगार को छूना नहीं, निर्दोष को छोड़ना नहीं। फिर जिस काम के करने से सीधे सरकार को खुश किया जा सके, वह करना तो पुलिस का परम् कर्तव्य हो जाता है। अब इसकी जद में पत्रकार आते हैं, तो आ जाएं। पुलिस अपने स्वभाव के मुताबिक अब भी काम कर रही। और पत्रकार धार जैसे छोटे शहर के हो तो उन पर दबिश बनाना और भी आसान हो जाता है। भोजशाला विवाद के दौरान संघ और भाजपा की आपसी अन्तर्कलह को खबरों में समेटने वाले कई खबरनवीस पुलिस से पिट भी गए और कानूनी फेर में भी डाल दिए गए। इन्साफ की गुहार लगाते इन्हें अब अपना स्वाभिमान सिद्ध करना पड़ रहा है। शुरुआत जिलास्तर की एक यात्रा से हो रही है। जिले के सभी आठ तेहसीलो तक जाने वाली इस यात्रा का असर प्रदेश की सरकार के कानों पर जू रेंगा पाएगी इसमें फिलहाल सन्देह ही है। कारण राजधानी भोपाल सहित प्रदेशभर में पत्रकार उत्पीड़न के मामले भरे पड़े हैं। सरकारी तंत्र से लेकर राजनीतिक दबाव और भूमाफियाओं से लेकर असामाजिक तत्वों के दबाव में कलम लहूलुहान भी हो रही है और गैर वाजिब तरीकों से पुलिसिया कार्रवाई से दो-चार भी। लेकिन सुरक्षा कानून की कमी इन्साफ के लिए आवाज़ बुलन्द करने वालों का लगातार दमन करती जा रही। पत्रकार तादाद से कई गुना ज्यादा सन्गठन मदद की बजाए अपने मफाद परस्ती में ही लगे हैं। मैत्री टूर्नामेंट या पुरस्कार वितरण कार्यक्रम से बाहर निकल कर, एक मन्च पर आकर पत्रकार हक में कोई आवाज़ उठाएँ तो सुरक्षा की कोई तहरीर लिखी जा सके। पुछल्ला सैया भए कोतवाल तो डर काहे का! प्रदेश के मुखिया के करीबी, पूरे सूबे में बड़ा कारोबार, बड़ा नाम और रसूख। फिर किसी नियम, कायदे, कानून में बँधकर काम करने की बन्दिश कहाँ रह जाती है। कर डाली एक कब्रिस्तान की ही खुदाई। रीवा जिले की महुगन्ज तहसील के एक कब्रिस्तान के दफन बाशिन्दों के सीने पर रविवार को जब कुदाली और बुलडोजर चला तो बवाल मच गया। पुलिस प्रशासन सान्सत में है कि समाज के लोगों को समझाएँ या रसूखदार की चाकरी कर अपनी नौकरी बचाएं?


इस खबर को शेयर करें


Comments