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25 हजार दो पत्रकार बन जाओ मगर शर्त ये है...

मीडिया            Aug 09, 2015


मंडला से दीपक ताम्रकार गजब है भाई 25 हजार दो और बन जाओ पत्रकार! जी हां आजकल मी​डिया में ये जुमला आम है। हालाकि सीधे नहीं बोला जाता लेकिन आशय यही होता है। यही कारण होता है कि क्षेत्रीय स्तर पर सिर्फ पैसों के बल पर अपनी दुकान चलाने वाले लोग पैसे देकर कार्ड और माईक आई डी हासिल कर धौंस जमाते घूमते हैं और असल पत्रकार चप्पलें चटकाते। क्योंकि उनके पास इतना पैसा एकमुश्त देेने के लिये नहीं होता। राजधानी में जिन चैनलों में प्रिंट मीडिया के कई अनुभवी लोगों को ये कहकर उलटे पैर लौटा दिया जाता है कि आप इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कैसे काम करेंगे आपको तो अनुभव ही नहीं है। वहीं चैनल क्षेत्रिय स्तर पर मोटे—मोटे डिपॉजिट मनी जमा करवाकर माईक आई डी देकर लोगों को पत्रकार बनाते नजर आते हैं। ये बाजार राष्ट्रीय त्यौहारों पर कुछ ज्यादा तेज हो जाता है। ये फर्क नहीं पड़ता कि आप की पत्रकारिता में डिग्री और उसमें अनुभव कितना है। भोपाल में दुकान का चलन अभी तेज़ है 15 अगस्त नज़दीक है । हर जिला में ग्राम पंचायतो की संख्या गिन कर चैनल की आई डी दी जायेगी । वह भी बिना कार्ड और लैटर के । व्यक्ति भले ही कोई हो । फिर बोली चालू होती है की साल में या महीने में विज्ञापन के तौर पर आप कितना दोगे । आपका दिमाग वाश करेंगे कहेंगे खबर जो भी दोगे हम चलाएंगे ,फोनो होगा,ब्रेकिंग चलेगी,पीटूसी चलेगी - आप हीरो बन जाओगे। लेकिन शर्त ये रहेगी । 1. खबर का पैसा नहीं देंगे । 2. केबल में चैनल आपको चालू करवाना है। 3. केबल में महीने का पैसा भी आपको देना है। 4. विज्ञापन आपको देना है। 5 . जो डिपाजिट दोग वो वापस नहीं होगा। ऐसे में आप अपना घर बेच कर उनका घर भरोगे। ब्लैक मेलर बनोगे । गुजारिश है प्रदेश की सरकार से न्यूज़ चैनल चलाने वाले लोगों के बैकग्राउंड की जाँच करे।


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