मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित ज्ञानतीर्थ सप्रे संग्रहालय में ई-लाइब्रेरी की स्थापना की गई है। इंटरनेट आधारित इस अध्ययन सुविधा से शोधार्थियों के साथ-साथ विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रतिभागियों को भी लाभ मिलेगा। उपयोगी वेबसाइटों का विद्यार्थी लाभ उठा सकते हैं।
माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान के संस्थापक-संयोजक विजयदत्त श्रीधर ने बताया कि नर्मदा चैरिटेबल पब्लिक ट्रस्ट के सहयोग से यह सुविधा सुलभ हुई है। अब सप्रे संग्रहालय में पुस्तकालय सेवा के तीन प्रारूप सक्रिय हो गए हैं। सप्रे संग्रहालय में 25 लाख पृष्ठ दुर्लभ संदर्भ सामग्री डिजिटल स्वरूप में पठन-पाठन के लिए तैयार है। कम्प्यूटर स्क्रीन पर शोध छात्र इसका लाभ उठा रहे हैं। इस महत्वपूर्ण पाठ सामग्री में भारतीय नवजागरण काल की ऐतिहासिक परिघटनाओं का प्रामाणिक वृत्तांत दर्ज है।
अर्थात स्वाधीनता आंदोलन, समाज सुधार आंदोलन, स्वदेशी और स्वावलंबन आंदोलन का अध्ययन करना है, तब उसका विवरण इन्हीं डिजिटल पन्नों में मिलेगा। लोकमान्य तिलक और महात्मा गांधी के साहित्य और पत्रिकाओं का संग्रह शोध-अध्ययन का महत्वपूर्ण आधार है। पुराने गजेटियर और भारतेन्दुकालीन साहित्यकारों और संपादकों की पुस्तकें एवं पत्रिकाएँ दुर्लभ और अन्यंत्र अप्राप्य हैं।
हिन्दी की युग निर्माता पत्रिकाओं-सरस्वती, नागरी प्रचारिणी पत्रिका, विशाल भारत, माधुरी, मधुकर, मर्यादा, चाँद, सुधा, गृहलक्ष्मी, धर्मयुग, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, दिनमान, हंस, विश्वमित्र, प्रभा, श्रीशारदा, गंगा, विज्ञान, विद्यार्थी, भूगोल, हिन्दू, पंच, महारथी, प्रेमा, वाणी, त्यागभूमि, सैनिक, माडर्न रिव्यू, कर्मयोगी, कर्मवीर, इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया, ग्वालियर स्टेट गजट, होल्कर स्टेट गजट, मालवा अखबार, अभ्युदय, अलहिलाल इत्यादि ऐसी संदर्भ सामग्री है जो लगभग अप्राप्य स्थिति में है। इनके अलावा दस हजार पत्रों का भी संग्रह है।
सप्रे संग्रहालय भोपाल गैस रिसन त्रासदी से लेकर कोविड महामारी तक तमाम बड़ी घटनाओं के अध्ययन के लिए संदर्भ सामग्री सुलभ कराता है। भारत में जनगणना और आम चुनाव, जनजातीय संस्कृति और समाज तथा हिन्दी, उर्दू, संस्कृत, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी, सिंधी आदि भाषाओं का विपुल साहित्य संग्रह सप्रे संग्रहालय को समृद्ध बनाता है। देश-विदेश के शोधकर्ताओं के साथ-साथ रचनाकार और पत्रकार इस संग्रह का लाभ उठा रहे हैं। यह भोपाल का सबसे बड़ा पुस्तकालय है।
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