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कर्मयोगी रामोजी राव के प्रति लाखों परिवार रखते थे श्रद्धा भाव

मीडिया            Jun 08, 2024


सिद्धार्थ माछीवाल।

कहते हैं इंसान के जाने के बाद उसका वास्तविक कद और बड़प्पन सामने आता है लेकिन हैदराबाद की फिल्म सिटी और इनाडू ग्रुप वाले रामोजी राव संभवत देश में एकमात्र ऐसे विराट व्यक्तित्व रहे जिनका आसमान छूता कद उनके व्यक्तित्व में नजर आता था।लंबी बीमारी के बाद उनका निधन दक्षिण भारत के लिए तो बड़ी क्षति ही है।

दक्षिण भारत में हैदराबाद के रामोजी राव (87) देश के मीडिया जगत में संभवत ऐसे एकमात्र व्यक्ति रहे जिनकी जीते जी हजारों घरों और लाखों दिलों में पूजा एवं प्रार्थना होती है उनकी नेक दिली और हर छोटे से छोटे और बड़े से बड़े की मदद की बदौलत।

अपने जीवन काल में शून्य से शिखर तक पहुंचने वाले पद्म विभूषण से सम्मानित रामोजी राव के रामोजी फिल्म सिटी परिसर में 2004 के दौरान जब देशभर से ईटीवी में सेलेक्ट होने वाले सैकड़ो मीडिया कर्मी रामोजी फिल्म सिटी में ट्रेनिंग के लिए पहुंचते थे तो वहां फिल्म सिटी से सटे दूर सुदूर गांव में चाहे छोटी मोटी होटल हो या ग्रॉसरी या फिर इडली डोसे वाले उनकी दुकानों में उनके इष्ट देव के साथ रामोजी राव की फोटो होती है।पूछने पर वे दुकानदार और स्थानीय लोग बताते थे कि रामोजी राव भी उनके लिए किसी ईश्वर से कम नहीं है क्योंकि उनकी रोजी-रोटी और काम धंधा उन्हीं की बदौलत था, ठीक ऐसी ही स्थिति फिल्म सिटी के अलावा उनके अलग-अलग सेक्टर में काम करने वाले हजारों कर्मचारी के अलावा हैदराबाद और आसपास के इलाकों से कर्मचारियों को ऑफिस छोड़ने वाली बसों के ड्राइवर अथवा अलग-अलग स्टाफ के बीच रहती इन तमाम लोगों के बीच एक जैसी आस्था और सम्मान भले जॉब के लिए उतना नहीं हो लेकिन अपने रामोजी सर के लिए तमाम लोगों के बीच हमेशा आदर भरी अनन्य भक्ति हर कहीं नजर आती है।

दक्षिण भारत के इस विराट फिल्म एवं मीडिया समूह की अलग-अलग इकाइयों में काम करने वाले बड़े से बड़े और छोटे से छोटे कर्मचारी आज उनके ऋणी इसलिए भी हैं क्योंकि अपनी दशकों की सेवा के बाद इस समूह के प्रमुख रामोजी राव ने हर कर्मचारी का जितना ख्याल रखा उतना कहीं और नहीं रखा जाता।

उल्लेखनीय है कि कोरोना के जिस भीषण दौर में जब मीडिया जगत की तमाम कंपनियां अपने कर्मचारियों का वेतन काटने पर मजबूर थी तब देश में एकमात्र रामोजी राव और उनका ईटीवी समूह था जिसने कर्मचारियों को संक्रमण से अपनी सुरक्षा के लिए न दवाइयां भेज कर काम के साथ पहले अपनी और परिवार की सुरक्षा का मानवीय उदाहरण प्रस्तुत किया। अकेले ईटीवी समूह ने कोरोना के भीषण दौर में अपने हजारों कर्मचारियों को समय पर और पूरा वेतन घर बिठा कर दिया। आर्थिक मंदी के दौर में भी यही एकमात्र मीडिया समूह था जिसने हर बार नवाचार और बदलाव की चुनौतियां स्वीकार करने के साथ के साथ मीडिया के हर क्षेत्र में अपने समूह के कर्मचारियों का विश्वास कभी नहीं खोया।

रामोजी राव देश के मीडिया जगत में इसलिए भी लोकप्रिय रहे क्योंकि जिस दौर में नेशनल सेटेलाइट चैनल का टीवी पर वर्चस्व था उस समय उन्होंने प्रादेशिक भाषाओं में ईटीवी के सेटेलाइट चैनल की आधारशिला रखी।उस दौर में दूरदर्शन के साथ सिर्फ ईटीवी ही अकेला प्रादेशिक चैनल था जिसकी पहुंच घर-घर में थी। आज इसी परिकल्पना पर देश भर में तमाम प्रादेशिक चैनल हैं लेकिन जो साख और सम्मान रामोजी राव ने इस ग्रुप के साथ सदैव जोड़ा वह उनके प्रेरणादाई जीवन मूल्य और निष्पक्ष पत्रकारिता के प्रति सजग रहने की सीख की बदौलत है।

रामोजी राव और ईटीवी समूह देश के राजनीतिक परिदृश्य और विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच इसलिए भी सर्वमान्य एवं विश्वसनीय रहे क्योंकि समूह ने हमेशा विकास आधारित निष्पक्ष पत्रकारिता पर फोकस किया यही वजह है कि बीते कई दशकों से न केवल दक्षिण भारत में बल्कि केंद्र की हर सरकार में ईटीवी समूह, रामोजी राव का महत्वपूर्ण स्थान रहा है।

 

 



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