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डिजिटल जर्नलिज्म का चमत्कार, क्लोज सर्च इंजन ऑप्टीमाईजेशन

मीडिया            Sep 28, 2024


नवीन रंगियाल।

डिजिटल जर्नलिज्म भी गज़ब चमत्कार है. जब से इस विधा में काम करने आया हूं, नित नए अचंभे सामने आ रहे हैं.

दरअसल, डिजिटल मीडिया में खबरों की रीच यानी पाठकों तक खबरों की पहुंच के लिए SEO यानी सर्च इंजिन ऑप्टिमाइजेशन की जरूरत होती है. इसमें यह सबसे अहम काम है.

जैसे कोई ख़बर जब ऑनलाइन पब्लिश की जाना है तो उस खबर से संबंधित ऐसे कीवर्ड्स शामिल करना होंगे, जिससे वो ख़बर गूगल में सर्च करने वालों को आसानी से मिल जाए.

जो वेबसाइट अपनी खबरों में जितने क्लोज, अप्रोप्रियेट और घटना से जुड़े कीवर्ड्स का इस्तेमाल करेगी, उसकी खबर गूगल में सबसे ऊपर मिलेगी और आसानी से नज़र आएगी.

लेकिन यह कीवर्ड्स का खेल डिजिटल मीडिया में कितते मजेदार स्तर तक का सकता है यह मुझे आज पता चला.

क्योंकि गूगल में खबर ढूंढने वाला आम या औसत पाठक लगातार इन न्यूज वेबसाइट्स को चुनौती देता जा रहा है. 

आज मैंने पोर्न स्टार रिया बर्डे की एक ख़बर पोस्ट की. रिया के बारे में महाराष्ट्र पुलिस ने खुलासा किया है कि जो रिया भारत में पोर्न इंडस्ट्री में काम करती है, वो दरअसल भारत की नहीं, बल्कि बांग्लादेश की है और फर्जी दस्तावेज के आधार पर यहां भारत में रह रही है.

अब इस ख़बर में मैंने जो कीवर्ड्स शामिल किए वो थे, who is Riya burde, about Riya burde, Riya barde kaun hai, (कीवर्ड्स पर ध्यान दीजिएगा) मैंने यह ध्यान में रखकर ये कीवर्ड्स डाले थे की जाहिर है कोई भी इस ख़बर को ठीक ऐसे ही गूगल पर सर्च करेगा, लेकिन हमारे तकनीकी टीम के एक साथी ने जब मुझे बताया की यह कीवर्ड्स काम नहीं कर रहे हैं, इन्हें और ज्यादा फिल्टर करना होगा. मैंने पूछा क्या किया जाए?

तकनीकी साथी ने जो उपाय बताया वो सिर हिला देने वाला था. उन्होंने बताया की यूजर यानी गूगल पर न्यूज खोजकर पढ़ने वाला इस खबर को कैसे सर्च कर रहा है... जो सर्च कीवर्ड्स यूजर गूगल पर खबर ढूंढने के लिए इस्तेमाल कर रहा था वो कुछ ऐसे थे... Kon h riya, (kaun नहीं) kon he riya (hai नहीं he)

दूसरा उदाहरण इस तरह है...

Garba kaise karen को पाठक garba kese kre खोजता हैं!

कौनसी फिल्म रिलीज हुई/ या kaunsi film release hui को पाठक kon si pichhar rilij hui खोजता है! ऐसी कई खबरें हैं। जिनमें व्हाट्सएप चैट की तरह कीवर्ड्स डाल रहा है यूजर्स.

अब यह मुझे समझ नहीं आ रहा ही की हम अपनी भाषा को कहां ले जाएं,  हम पत्रकार, पाठक को भाषा सिखाएं या पाठक के मुताबिक हम अपनी भाषा को उसके स्तर पर लेकर जाएं?

यह अद्भुत चमत्कार डिजिटल दुनिया में लगातार पसर रहा है.

डिजिटल और इनरनेट की दुनिया के मूर्धन्य ही इस बारे में प्रकाश डालें तो बेहतर! 

माने हम आपको भाषा सिखाएं या आपकी भाषा हम सीखें? यह रीच और व्यूज की दौड़ हमें कब तक और कहां तक ले जाएगी?

लेखक वेबदुनिया में असिस्टेंट एडिटर हैं।

 


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