मल्हार मीडिया भोपाल।
संवैधानिक मूल्यों के प्रति जागरूकता और बोध विकसित करने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश के 15 पत्रकारों को ‘विकास संवाद संविधान फैलोशिप 2022’ प्रदान की गई है।
विभिन्न क्षेत्रों, मीडिया संस्थानों और अनुभव वाले ये 15 पत्रकार इस फैलोशिप के दौरान संवैधानिक मूल्यों पर संवाद, व्यवहारिक पहल, पैरवी और संविधान के प्रति अपना बोध विकसित करने की दिशा में कार्य करेंगे।
एक सामाजिक विकास, शोध, दस्तावेजीकरण और संवाद समूह के रूप में कार्यरत संस्थान विकास संवाद ने यह फैलोशिप प्रदान की है।
फैलोशिप के लिए प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त एवं आमंत्रित आवेदनों में से विषय विशेषज्ञों की जूरी तथा संवाद प्रक्रिया उपरांत 15 वकीलों का चयन किया गया।
विषय विशेषज्ञों की जूरी में मप्र के वरिष्ठ पत्रकार-संपादक श्री चंद्रकांत नायडू, लब्धप्रतिष्ठित संपादक श्री एनके सिंह और ख्यात पत्रकार श्रावणी सरकार ने आवेदकों के अवधारणा नोट तथा उनके अनुभव, संवैधानिक मूल्यों के प्रति समझ और इस दिशा में अब तक किए गए कार्यों के आधार पर फैलोशिप के लिए पत्रकारों का चयन किया है।
एक वर्ष की ‘विकास संवाद संविधान फैलोशिप 2022’ के लिए प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार कीति राणा और केएस शाइनी को वरिष्ठतम श्रेणी में फैलोशिप के लिए आमंत्रित किया गया है।
ये अपने पत्रकारिता में अपने सुदीर्घ अनुभव के आधार पर संवैधानिक मूल्यों के प्रति सक्रिय समामज तैयार करने में सहायता करेंगे।
वरिष्ठ पत्रकार श्रेणी में अमिता नीरव (स्वतंत्र पत्रकार/साहित्यकार, इंदौर), अनूप दत्ता (स्वतंत्र पत्रकार, भोपाल), ममता यादव (संस्थापक संपादक मल्हार मीडिया, भोपाल), सचिन चौधरी (संस्थापक संपादक बुंदेली बौछार, भोपाल) शिफाली पांडे (वरिष्ठ संवाददाता, ई टीवी भारत, भोपाल), शुभम बघेल (स्थानीय संपादक, पत्रिका, शहडोल), योगेश पांडे (विशेष संवाददाता, दैनिक भास्कर, भोपाल) तथा फोटो जर्नलिस्ट अबरार खान (चीफ फोटोग्राफर, नवदुनिया, भोपाल) का चयन किया गया है।
युवा पत्रकार श्रेणी में अक्षय नेमा (जिला ब्यूरो प्रमुख, देशबंधु, नर्मदापुरम्), काशीराम वरकड़े (स्वतंत्र पत्रकार, मंडला), काशिफ काकवी (प्रदेश प्रतिनिधि, न्यूज क्लिक, भोपाल), रुचि वर्मा (वरिष्ठ संवाददाता, द सूत्र, भोपाल) और सतीश भारतीय (स्वतंत्र पत्रकार, सागर) का चयन हुआ है।
विकास संवाद के निदेशक एवं सचिव सचिन जैन ने यह जानकारी देते हुए बताया कि भारत के संविधान की प्रस्तावना में निहित है कि, संविधान की स्थापना का मूल उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय, प्रतिष्ठा, अवसर की समानता तथा स्वतंत्रता प्रदान करना है।
मगर यह तथ्य भी किसी से छिपा नहीं है कि समान न्याय व्यवस्था, समानता, स्वतंत्रता जैसे संवैधानिक मूल्यों का क्रियान्वयन होने में अब भी कई पड़ाव शेष हैं।
संवैधानिक मूल्यों के प्रति सजगता हमारे आम क्रियाकलापों में शामिल नहीं होती है। इस अंतर को पाटने के लिए सक्रिय संवेदनशील वकीलों के समूह की भी आवश्यकता महसूस की गई है जो कि वंचित एवं शोषित वर्गों के हक की आवाज को बुलंद कर सकें।
उनके संवैधानिक मूल्यों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सके। संवैधानिक मूल्य क्या हैं यह जानेंगे और इन्हें समझेंगे तो संविधान को सर्वोच्च दर्जा देने के लिए समाज को प्रेरित कर पाएंगे।
यह फैलोशिप संवैधानिक मूल्यों पर सोचने, समझने, संवाद करने, सीखने-समझने के लिए दो तरफ़ा प्रक्रिया होगी, जिसमें फेलो वकील साझा तरीके से संवैधानिक मूल्यों के प्रति चेतना और अपना कथानक विकसित कर पाएंगे।
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