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क्या आईआरएस की वापसी से मिलेगी प्रिंट मीडिया को नई जान

मीडिया            Sep 09, 2024


 मल्हार मीडिया डेस्क।

भारतीय मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल (MRUC) द्वारा पांच साल के अंतराल के बाद इंडियन रीडरशिप सर्वे (IRS) को फिर से शुरू करने की योजना बनाई है, जिससे प्रकाशकों में उम्मीद जगी है कि इस सर्वे की वापसी से उन्हें अपने विज्ञापन राजस्व में सुधार करने और प्रिंट इंडस्ट्री को मजबूती प्रदान करने में मदद मिल सकती है।

डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के प्रभुत्व वाले परिदृश्य में, प्रिंट मीडिया हाउस बढ़ते दबाव का सामना कर रहे हैं। इंडस्ट्री से जुड़े अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कई समाचार पत्रों ने अपने प्रसार को 15-20 प्रतिशत तक कम कर दिया है और घाटे में चल रहे संस्करणों को बंद कर दिया है ताकि लाभप्रदता में सुधार हो सके।

हालांकि, हाल के दिनों में प्रिंट विज्ञापन राजस्व में वृद्धि देखी गई है, लेकिन यह विज्ञापन दरों में गिरावट के कारण है, न कि ब्रैंड्स के समग्र मार्केटिंग खर्च में वृद्धि के कारण।

इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का मानना है कि क्रेडिबल और अपडेटेड रीडरशिप डेटा विज्ञापनदाताओं को प्रोत्साहित कर सकता है, जो तेजी से डिजिटल प्लेटफॉर्म्स में निवेश कर रहे हैं, ताकि वे अपने बजट का एक बड़ा हिस्सा प्रिंट विज्ञापनों पर आवंटित करें।

एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक के शीर्ष लीडर ने कहा, "IRS प्रिंट मीडिया उपभोग पर स्पष्टता प्रदान करने का वादा करता है। यह निश्चित रूप से प्रिंट में विज्ञापनदाताओं की रुचि को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।"

प्रिंट मीडिया को अपनी स्थायी प्रासंगिकता के बावजूद भारत के कुल विज्ञापन खर्च का केवल 20% हिस्सा ही हासिल है, जबकि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को 44% और टेलीविजन को 32% हिस्सा मिलता है।

EY-FICCI की नवीनतम मीडिया और एंटरटेनमेंट रिपोर्ट में बताया गया है कि कोविड के बाद प्रिंट मीडिया धीरे-धीरे पुनरुद्धार की राह पर है, लेकिन इस क्षेत्र ने अभी तक महामारी पूर्व राजस्व स्तरों को प्राप्त नहीं किया है। विज्ञापन राजस्व महामारी से पहले की तुलना में 14% कम है, हालांकि 2021 में 16,595 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023 में 19,250 करोड़ रुपये हो गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि आईपीएल और विश्व कप जैसे प्रमुख आयोजनों ने विज्ञापन बजट को प्रिंट से दूर कर दिया, जिससे 2023 में त्योहारी सीजन के दौरान विज्ञापन खर्च कम रहा।

डिजिटल न्यूज कंजप्शन में वृद्धि ने प्रिंट मीडिया को प्रभावित किया है, जिसमें भारत में 456 मिलियन डिजिटल समाचार उपभोक्ता हैं और 80% से अधिक मोबाइल फोन के माध्यम से समाचार पढ़ते हैं। इससे प्रिंट पाठकों का डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की ओर रुझान बढ़ गया है, जिससे नए ग्राहकों को आकर्षित करना कठिन हो गया है।

IRS की वापसी चाहते हैं विज्ञापनदाता

मीडिया बायर्स के अनुसार, ऑटो, BFSI, रियल एस्टेट, रिटेल, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और FMCG जैसे क्षेत्रों में प्रमुख विज्ञापनदाता प्रिंट को अपने मीडिया रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं, क्योंकि यह मीडिया की विश्वसनीयता और उपभोक्ताओं के साथ विश्वास निर्माण में मदद करता है।

एक मीडिया बायर ने कहा, “यह भरोसा और प्रिंट की मूर्त प्रकृति बेहतर सूचना प्रतिधारण में योगदान करती है जो ब्रैंड्स के लिए महत्वपूर्ण है।”

हालांकि, उचित पाठक डेटा के अभाव में, उनके पास अंतर्ज्ञान, सरोगेट सर्वे, डीलर्स/मीडिया बायर्स की प्रतिक्रिया और ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन डेटा आदि के आधार पर चुनाव करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। मीडिया खरीदारों ने एक्सचेंज4मीडिया को बताया कि कुछ ब्रैंड्स अभी भी विज्ञापन दरों और निवेश का फैसला करने से पहले 2019 के IRS डेटा पर विचार करते हैं।

तनिष्क की चीफ मार्केटिंग ऑफिसर पल्की शेरिंग ने कहा, "सभी विज्ञापनदाताओं को पाठकों की संख्या की पुष्टि और खपत को ध्यान में रखते हुए योजना बनाने के लिए अपडेट और यथार्थवादी IRS डेटा की आवश्यकता होती है, जिससे विज्ञापन दरों का मूल्यांकन किया जा सके।"

शेरिंग ने कहा कि तनिष्क वर्तमान में अखबारों की वेबसाइट पर सरोगेट सर्वे करता है, ताकि अखबारों के पाठकों के बारे में व्यापक जानकारी मिल सके।

हालांकि, अधिकांश ब्रैंड्स इस बात को स्वीकार करते हैं कि जो उपभोक्ता पहले ही डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की ओर जा चुके हैं, वे प्रिंट मीडिया में वापस नहीं लौटेंगे।

एक FMCG ब्रैंड के CMO ने कहा, "प्रिंट उपभोक्ताओं में ज्यादातर मिलेनियल्स और उससे ऊपर की पीढ़ी शामिल है। यह हमारे लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन हमारा डिजिटल विज्ञापन खर्च बढ़ता रहेगा क्योंकि युवा पीढ़ी वहां अधिक समय बिताती है। प्रिंट को अपने विज्ञापनदाताओं को बनाए रखने के लिए इनोवेशन के मामले में कड़ी मेहनत करनी होगी।"

एक मीडिया बायर ने याद दिलाते हुए कहा कि इस साल जून में, स्विगी इंस्टामार्ट ने आम की खुशबू वाला अखबार का फ्रंट पेज विज्ञापन निकाला, जिसमें लिखा था, 'इस विज्ञापन को अपनी नाक से पढ़ें'। यह वायरल हो गया, जिससे काफी चर्चा हुई और लोगों ने इसे पसंद भी किया।" 

इंडियन न्यूजपेपर्स सोसाइटी के प्रेजिडेंट राकेश शर्मा का कहना है कि प्रिंट विज्ञापन और डिजिटल मीडिया विज्ञापन दो अलग-अलग मुद्दे हैं। उन्होंने कहा, "डिजिटल विज्ञापन में वृद्धि का प्रिंट विज्ञापन से कोई संबंध नहीं है।"

IRS के बारे में विस्तार से बताते हुए शर्मा ने कहा, "IRS अखबारों के प्रसार, विभिन्न क्षेत्रों में कितनी प्रतियां वितरित होती हैं, कितने पाठक होते हैं, पाठकों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति आदि को समझने में मदद करता है। यह सर्वे विज्ञापनदाताओं के लिए अपने प्रिंट निवेश को अनुकूलित करने के लिए एक आवश्यक उपकरण है।"

IRS की नई डेटा से प्रकाशकों को भी अपने पाठकों को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी। यह बहुत संभव है कि प्रसार में कमी के बावजूद किसी समाचार पत्र के पाठकों की संख्या में वृद्धि हुई हो। चूंकि IRS, जो भारत में प्रिंट मीजरमेंट के लिए एकमात्र एजेंसी है, पांच साल से अटका हुआ है, इसलिए प्रकाशकों को भी वास्तविक पाठकों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। फ्रेश डेटा उन्हें बेहतर तरीके से बार्गनिंग करने की शक्ति देगा।

समाचार4मीडिया

 


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