मल्हार मीडिया भोपाल।
भोपाली मीडिया में पत्रकारों के सरकार से लेनदेन की खबरें जिस तेजी से फैलती हैं उस तेजी से तो कोई एक्सक्लूसिव खबर भी नहीं मिलती। ताजा मामला कुछ पत्रकारों को गाड़ियां बांटे जाने वाली अफवाहों का है। इसकी शुरूआत कुछ वरिष्ठ पत्रकारों की पोस्टों से ही हुई लेकिन उन्होंने नाम नहीं उजागर किए। मतलब बात सुनी सुनाई थी। चुनाव के समय इस खबर का फैलना ठीक वैसा ही हो गया जैसे बेटी की शादी में बाराती घराने के रिश्तेदारों में अफवाह फैल जाती है कि फलाने रिश्तेदार को ये दिया ढिकने को ये दिया। ऐसा ही कुछ माहौल फिलहाल चुनावों के दौरान बना हुआ है।
ये पत्रकारों का खंडन ये रहा जस का तस और अब वे इस मामले में कोर्ट जाने वाले हैं साइबर सेल में भी शिकायत की जायेगी। इन पत्रकारों ने सरकार से भी स्पष्टीकरण मांगा है
सम्मानित साथियों,
एक व्यक्ति ने जो अपने आपको पत्रकार बताता है ने अपने फेसबुक पेज पर दावा किया है कि भोपाल के 16 पत्रकारों को सरकार ने लक्जरी गाड़ियां दी हैं। इन पत्रकारों में हमारे आपके बीच के उन सम्मानित साथियों का नाम है जिनका पेशा पूर्णतः पत्रकारिता रहा है और जिन्होंने पत्रकारिता में दलालों, अपराधियों और ब्लैकमेल करने वालों का हमेशा विरोध किया है। और जहां तक मैं मानता हूं कि हम लोगों का पेशा अभी भी पवित्र है जिससे लोगों का हम लोगों पर विश्वास बना हुआ है। पर इस पेशे को दागदार बनाने की कोशिश की जा रही है। चूंकि ये विधान सभा चुनाव के समय किया जा रहा है अतः इसके पीछे एक बड़े षडयंत्र से इंकार नहीं किया जा सकता।
आजकल पैसे का कोई भी लेन देन वो भी गाड़ी जैसे बड़े चीज में छिपा कर किया ही नहीं जा सकता। प्रत्येक पेमेंट या तो चेक से होता है या नेट बैंकिंग से। पर दुष्प्रचार की वजह से हम सबका मन आहत हुआ है। मन बहुत ही दुखी है। यह दुख और भी बढ़ जाता है जब हममें से ही कुछ लोग ऐसे पोस्ट को आगे बढ़ाते हैं बिना अपने दिमाग का यूज किए बिना या बिना किसी लॉजिक को सोचे बिना या शायद किसी योजना के तहत।
हममें से कुछ लोगों ने साइबर सेल में उस व्यक्ति के विरुद्ध शिकायत कर दिया है जिसने अपने फेसबुक पेज पर आपत्तिजनक पोस्ट डाला है और अत्यंत आधारहीन और मिथ्या आरोप लगाया है। आपराधिक मानहानि, आपराधिक षडयंत्र तथा आई टी एक्ट के तहत अपराध के विरुद्ध अन्य कारवाई के लिए हम लोग विधिक सलाह ले रहे हैं। आपको इस कारवाई से अवगत कराएंगे।
1. हमारा आप सभी से आग्रह है कि जिन भी ग्रुप्स में यह पोस्ट दिखाई दे उसका स्क्रीनशॉट लेकर हमें उपलब्ध कराने की कृपा करें। ताकि हमें पता चल सके कि कौन लोग वायरल कर रहे हैं और उनके नाम मानहानि के मुकदमे और सायबर सेल में होने वाली शिकायत में शामिल किया जा सके। अगर किसी ग्रुप में ये पोस्ट मिलता है तो ऐसे पोस्ट डालने वालों का तथा ग्रुप एडमिन की जिम्मेदारी भी बनती है कि वो उक्त आरोप को पुलिस तथा न्यायालय के समक्ष साबित करे।
2.हमारा सरकार से भी आग्रह है कि इस मामले में वस्तुस्थिति उजागर करे। यदि किसी को कार दी है तो सार्वजनिक करें कि किस एजेंसी से कितना-कितना भुगतान किया है। गलत खबर हो तो इसे वायरल करने वालों के खिलाफ सरकार आवश्यक विधिसम्मत कार्रवाई करे और खंडन जारी कर अफवाह को निराधार बताए।अगर सरकार की तरफ से 2 दिन में स्पष्टीकरण नहीं आया तो सरकार को या मुख्यमंत्री को भी इसमें पार्टी बनाया जाएगा।
-प्रभु पटैरिया
-रंजन श्रीवास्तव
-मनीष दीक्षित
-नीतेंद्र शर्मा
- वीरेंद्र शर्मा
-राकेश अग्निहोत्री।
दरअसल कई दिनों से राजधानी के मीडिया गलियारों में कुछ नामचीन पत्रकारों को सरकार द्वारा गाड़ियां बांटने की खबर चल रही है। जिसकी पुष्टि कोई नहीं कर रहा है। ये खबर फैलाने वाले तो बिल्कुल नहीं। अब आगे क्यो होगा ये तो भविष्य में ही पता चलेगा लेकिन हमेशा ऐसी खबरों पर चटखारे लेने वालों के लिए चुनावी मौसम में एक मुद्दा और मिल गया।
खंडन फ्रेंड्स आॅफ फ्री मीडिया नामक ग्रुप में किया गया है, स्क्रीनशॉट संलग्न
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