मल्हार मीडिया ब्यूरो।
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को पूर्व BCCI अध्यक्ष पेश हुए और फिर से बिना शर्त माफी मांगी। लेकिन कोर्ट ने अभी माफी नहीं दी और 17 अप्रैल को अगली सुनवाई होगी। कोर्ट ने 17 अप्रैल को अनुराग ठाकुर की पेशी से छूट दी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने हलफनामा दाखिल कर कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट को लगता है कि उन्होंने कोर्ट के आदेशों में बाधा पहुंचाने की कोशिश की तो वो बिना शर्त और साफ तौर पर माफी मांगते हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को क्षीण करने का कभी उनका उद्देश्य नहीं रहा। वो कम उम्र में ही पब्लिक लाइफ में आ गए थे और तीन बार से संसद लोकसभा के सदस्य रहे हैं।
इस मामले में आज सोमवार को सुनवाई के दौरान बीसीसीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें आईसीसी की आगामी बैठक में उठने वाले विभिन्न मुद्दों पर मंत्रणा के लिये राज्यों के संगठनों के साथ बैठक करने की अनुमति प्रदान की जाये। उन्होंने कहा कि यदि इन मुद्दों पर चर्चा नहीं की गयी तो सरकार और बीसीसीआई को बहुत अधिक धन का नुकसान होगा क्योंकि यह राजस्व से संबंधित है। हालांकि, शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पराग त्रिपाठी ने इस अनुरोध का विरोध किया और कहा कि ऐसी बैठक की अनुमति उसी परिस्थिति में दी जा सकती है जब राज्यों के संगठन न्यायालय के निर्देशानुसार यह आश्वासन दें कि वे न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा समिति की सिफारिशों का पालन करेंगे।
झूठा हलफनामा दाखिल करने के आरोप में न्यायालय की अवमानना नोटिस का सामना कर रहे भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने सोमवार 6 मार्च को शीर्ष अदालत से बिना शर्त माफी मांगी। न्यायालय में मौजूद ठाकुर ने कहा कि उनकी मंशा कभी भी कोई झूठी जानकारी शीर्ष अदालत को देने की नहीं थी और उन्होंने एक हलफनामा दाखिल किया जिसमें उन परिस्थितियों का जिक्र किया जिनके तहत उनके कथन के कारण अवमानना कार्यवाही शुरू की गयी। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष ठाकुर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी एस पटवालिया ने कहा, ‘मैंने बिना शर्त माफी मांगी है और मैंने परिस्थितियों को बयां किया है। मेरा इरादा कोई भी गलत जानकारी दाखिल करने का नहीं था।
पीठ ने इस हलफनामे के अवलोकन के बाद मामले की सुनवाई 17 अप्रैल के लिये स्थगित कर दी और अनुराग ठाकुर को भी उस दिन व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दे दी। शीर्ष अदालत ने 2 जनवरी को बीसीसीआई के अड़ियल रवैये पर कडा रुख अपनाते हुए अनुराग ठाकुर और अजय शिर्के को प्रशासन में व्यापक बदलाव के उसके निर्देशों का पालन करने में ‘व्यवधान’ पैदा करने तथा लटकाने के कारण अध्यक्ष तथा सचिव पद से हटा दिया था। पीठ ने स्वायत्ता के मुद्दे पर आईसीसी को पत्र लिखने के बारे में झूठा हलफनामा दाखिल करने के कारण ठाकुर के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही का नोटिस जारी कर दिया था।
इस पर पीठ ने कहा कि पहले तथ्य स्पष्ट हो जायें। हमें आईसीसी से कुछ लेना देना नहीं है। हमारा सरोकार तो इतना ही है कि एक देश के रूप में भारत के सर्वश्रेष्ठ हितों की पूर्ति होनी चाहिए और उसे पैसा भी मिलना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि मान लीजिये इसमें नुकसान है और बहुत अधिक धन का नुकसान है तो इसका ध्यान रखना होगा। पीठ ने जब यह कहा कि आईसीसी कई स्तर वाली संस्था है और बीसीसीआई इसका एक सदस्य है तो सिब्बल ने कहा कि परंतु बीसीसीआई से राजस्व मिलता है। 90 फीसदी राजस्व अकेले बीसीसीआई से ही आता है। इस पर पीठ ने स्पष्ट किया कि वह आईसीसी और बीसीसीआई के वित्तीय पहलू पर गौर नहीं करेगी। न्यायालय ने कहा कि इस मसले पर 20 मार्च को सुनवाई की जायेगी।
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