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वक्फ संशोधन के खिलाफ 73 याचिकाएं, सुप्रीम कोर्ट बोला, अतीत दोबारा नहीं लिख सकते

राष्ट्रीय            Apr 16, 2025


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

सुप्रीम कोर्ट ने आज 16 अप्रैल बुधवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई की। इस दौरान शीर्ष अदालत ने गैर हिंदू, वक्फ बाय यूजर और रोक की मांग जैसे कई प्वाइंट का जिक्र किया।

कोर्ट ने कहा कि ‘वक्फ बाय यूजर’ को खत्म करने से कई समस्याएं पैदा होंगी। कोर्ट ने नए वक्फ कानून को चुनौती देने वाली 70 से अधिक याचिकाओं पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा। हालांकि, सर्वोच्च अदालत ने पहले दिन सुनवाई के दौरान वक्फ कानून के संचालन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने पहले इन याचिकाओं को एक हाईकोर्ट में भेजने पर विचार किया। हालांकि, बाद में कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, राजीव धवन और केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सहित वरिष्ठ अधिवक्ताओं की दलीलें सुनीं। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नए वक्फ कानून पर सुनवाई के दौरान कई प्वाइंट्स उठाए।

गैर मुस्लिमों की एंट्री पर

सेंट्रल और स्टेट वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने पर अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वह हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में मुसलमानों को शामिल होने की अनुमति देगी? कोर्ट ने आगे कहा कि पदेन सदस्यों को धर्म के बावजूद नियुक्त किया जा सकता है, लेकिन अन्य सदस्यों को मुस्लिम होना होगा। कोर्ट गुरुवार दोपहर 2 बजे भी इस मामले पर फिर से सुनवाई करेगा।

कोर्ट ने ‘वक्फ बाय यूजर’ को हटाने पर चिंता जताई और केंद्र से जवाब मांगा। कोर्ट ने कानून पर रोक लगाने से मना कर दिया। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या गैर-मुस्लिमों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में शामिल किया जाएगा। पीठ ने कहा कि आप उपयोगकर्ता की ओर से ऐसे वक्फ को कैसे रजिस्टर करेंगे? उनके पास कौन से दस्तावेज होंगे? इससे कुछ पूर्ववत हो जाएगा। हां, कुछ दुरुपयोग है। लेकिन वास्तविक भी हैं।

पीठ ने पूछा कि क्या आप यह कह रहे हैं कि अब से आप मुसलमानों को हिंदू बंदोबस्ती बोर्ड का हिस्सा बनने की अनुमति देंगे। इसे खुलकर कहें। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जब 100 या 200 साल पहले किसी सार्वजनिक ट्रस्ट को वक्फ घोषित किया जाता था, तो उसे अचानक वक्फ बोर्ड द्वारा अपने अधीन नहीं लिया जा सकता था और अन्यथा घोषित नहीं किया जा सकता था।

आप अतीत को दोबारा नहीं लिख सकते

पीठ ने कहा कि आप अतीत को दोबारा नहीं लिख सकते। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति ने 38 बैठकें कीं और संसद के दोनों सदनों द्वारा इसके पारित होने से पहले 98.2 लाख ज्ञापनों की पड़ताल की। प्रधान न्यायाधीश ने सुनवाई के शुरू में कहा कि दो पहलू हैं जिन पर हम दोनों पक्षों से बात करना चाहते हैं। सबसे पहले, क्या हमें इस पर विचार करना चाहिए या इसे हाईकोर्ट को सौंप देना चाहिए? दूसरा, संक्षेप में बताएं कि आप वास्तव में क्या आग्रह कर रहे हैं और क्या तर्क देना चाहते हैं? हम यह नहीं कह रहे हैं कि कानून के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करने और निर्णय लेने में उच्चतम न्यायालय पर कोई रोक है।

मैं मुसलमान हूं या नहीं… सरकार कैसे तय कर सकती है- सिब्बल

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने वक्फ संशोधन अधिनियम का हवाला दिया और कहा कि वह उस प्रावधान को चुनौती दे रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि केवल मुसलमान ही वक्फ कर सकते हैं। सिब्बल ने पूछा कि सरकार कैसे तय कर सकती है कि मैं मुसलमान हूं या नहीं और इसलिए वक्फ करने का पात्र हूं या नहीं? उन्होंने कहा कि सरकार यह कैसे कह सकती है कि केवल वे लोग ही वक्फ कर सकते हैं जो पिछले पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे हैं?

वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने पर SC ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों को लेकर भी सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। शीर्ष अदालत ने पूछा, ‘क्या आप मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने देंगे?’ कोर्ट ने कहा कि पदेन सदस्यों को उनके धर्म के बावजूद नियुक्त किया जा सकता है, लेकिन अन्य सदस्यों को मुस्लिम होना होगा। अधिनियम के अनुसार, केंद्रीय वक्फ परिषद में, 22 नियुक्त (गैर-पदेन) सदस्यों में से दो गैर-मुस्लिम समुदायों के व्यक्ति हो सकते हैं। राज्य वक्फ बोर्ड में 11 नियुक्त (गैर-पदेन) पदों में से दो गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल हो सकते हैं। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से सवाल किया है।

नए वक्फ कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों पर भी सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि वह बहुत परेशान है। सीजेआई ने कहा कि एक बार जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है, शीर्ष अदालत मामले को देख रही है, तो ऐसा नहीं होना चाहिए। बता दें कि मुर्शिदाबाद में 11 अप्रैल को वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। इसमें तीन लोगों की मौत हो गई, कई अन्य घायल हो गए और संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचा। बंगाल पुलिस के अनुसार, हिंसा के संबंध में अब तक 150 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। प्रभावित क्षेत्रों जैसे समसेरगंज और धुलियान में भारी पुलिस बल तैनात करके सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

73 याचिकाएं दायर

 बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने हाल ही में संसद में लंबी चर्चा के बाद वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को अधिसूचित किया। इस विधेयक पर 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मुहर लगाया। इसे लोकसभा में 288 वोटों के साथ पारित किया गया, जबकि 232 ने इसके खिलाफ वोट दिया। राज्यसभा में, यह 128 सदस्यों के समर्थन और 95 के विरोध के साथ पारित हुआ। हालांकि, नए वक्फ कानून की वैधता को चुनौती देते हुए कुल 73 याचिकाएं दायर की गई हैं।

केंद्र ने दायर किया कैविएट

याचिकाकर्ताओं में AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), जमीयत उलेमा-ए-हिंद, DMK और कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और मोहम्मद जावेद शामिल हैं। वहीं इसके जवाब में, केंद्र ने 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट (अपील) दायर की। इसमें केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करते हुए कहा कि कोई भी आदेश जारी करने से पहले उनकी भी सुनी जाए।

 

 

 

 

 

 


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