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बर्बादियों का सोग मनाता बिहार

राष्ट्रीय            Oct 06, 2025


  

डॉ. प्रकाश हिंदुस्तानी।

भोजपुरी कहावत है - "कवन मुंह ले बकरी चरे?" बिहार में छठी मइया की पूजा के पर्व के बाद नवम्बर में 6 और 11 नवम्बर को चुनाव हैं, नतीजा बाल दिवस के दिन आएगा। 6 अक्टूबर को चुनाव की तारीख के पहले बिहार की सरकार ने सारे वैसे धतकरम कर डाले जैसे नया वित्तीय वर्ष शुरू होने के पहले सरकारें करती हैं।

- चुनाव आचार संहिता के पहले नीतीश  कुमार ने पटना मेट्रो का उद्घाटन कर दिया। 

- मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत 21 लाख महिलाओं के अकाउंट में दस दस हजार डाले  गए। (करीब एक करोड़ महिलों के अकाउंट में पहले ही इतने रुपये डाले गए थे। )

- महिलाओं, दिव्यांगों और बुजुर्गों को मिलने वाली पेंशन 400 से बढ़ाकर 1100 रुपये कर दी।

- घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक बिजली मुफ़्त।

- आशा, आंगनबाड़ी, ममता, रसोइयों, विकास मित्र, शिक्षा सेवक सहित कई स्कीम वर्कर्स का मानदेय बढ़ाया गया।

- बेरोजगार ग्रेजुएट नौजवानों को 1 हज़ार रुपये प्रति माह दो साल तक मिलेंगे।

- नए रजिस्टर्ड वकीलों को 5 हज़ार रुपये का हर महीने स्टाइपेंड।

- स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के तहत मिलने वाला कर्ज़ ब्याज से मुक्त।

- राज्य की सभी परीक्षाओं में सिर्फ़ प्रारंभिक परीक्षा में ही 100 रुपये का शुल्क लगेगा। मुख्य परीक्षा में कोई शुल्क नहीं लगेगा।

- वरिष्ठ और आर्थिक रूप से कमजोर कलाकारों के लिए हर महीने 3 हज़ार रुपये की पेंशन।

बिहार का 2025-26 का बजट 3 लाख 16 हज़ार करोड़ रुपये का था। मार्च में बजट की घोषणा के बाद जुलाई में मॉनसून सत्र में पेश हुए पहले अनुपूरक (सप्लीमेंटरी) बजट में 58 हज़ार करोड़ और आवंटित किए गए।

 2025-26 में 55,737 करोड़ रुपये का ऋण लिया जाना प्रस्तावित है। यानी इस स्थिति में बिहार  पर कुल बकाया 4,04,107 करोड़ रुपये का होगा। इस कर्ज़ का ब्याज इस वित्तीय वर्ष में 23,013 करोड़ रुपये है यानी रोज़ाना 63 करोड़ रुपये। 

 


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