उत्तराखंड के लिए विस्थापितों के पुनर्वास के लिए सीबीआरआई ने आपदा-प्रतिरोधी मॉडल शहर का प्रस्ताव दिया

राष्ट्रीय            Jan 11, 2023


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

उत्तराखंड के जोशीमठ पर आई आपदा को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) ने जोशीमठ के डूबते उत्तराखंड शहर से विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए एक आपदा-प्रतिरोधी मॉडल शहर विकसित करने का प्रस्ताव दिया है।

सीबीआरआई के निदेशक आर प्रदीप कुमार ने बताया कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के रुड़की स्थित संस्थान ने भी जोशीमठ के लिए तीन आयामी कार्य योजना का सुझाव दिया है जिसमें झुकी हुई इमारतों को गिराने, मौजूदा 4,000 इमारतों की सुरक्षा का आकलन करने और विस्थापित लोगों को मध्यवर्ती आश्रय प्रदान करने की परिकल्पना की गई है।  

सीबीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डीपी कानूनगो और अजय चौरसिया के साथ कुमाऊं क्षेत्र में हिमालय पर्वत श्रृंखला में बसे शहर की स्थिति का आकलन करने के लिए सोमवार को जोशीमठ गए और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और उत्तराखंड सरकार के अधिकारियों के साथ इस मामले पर विचार-विमर्श किया।

उन्होंने कहा, "एक सुरक्षित चिन्हित स्थल पर शहरी नियोजन के साथ-साथ लागत प्रभावी निर्माण तकनीक यानी सीमित चिनाई का उपयोग करते हुए एक आपदा प्रतिरोधी मॉडल टाउन विकसित करने का प्रस्ताव है।

कुमार ने कहा कि सीबीआरआई चयनित सुरक्षित चिन्हित स्थल पर घरों की संख्या और स्थलाकृति सर्वेक्षण के संबंध में उत्तराखंड सरकार से मिले इनपुट के आधार पर आवास योजना, डिजाइन और निर्माण सलाह प्रदान करेगा।

1970 में अलकनंदा की बाढ़ के बाद यूपी सरकार ने 1976 में तत्कालीन गढ़वाल आयुक्त एमसी मिश्रा की अध्यक्षता में वैज्ञानिकों की 18 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था।

इस कमेटी में सिंचाई, लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर, रुड़की इंजीनियरिंग कालेज (अब आईआईटी) और भूर्गभ विभाग के विशेषज्ञों के साथ ही पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट शामिल थे।

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में माना था कि जोशीमठ भू-स्खलन प्रभावित क्षेत्र है। इसके ढलानों से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए। भूस्खलन इलाकों में पेड़ न काटे जाएं, पहाड़ी ढलानों पर पौधरोपण किया जाए।

पांच किमी के दायरे में किसी प्रकार का खनन न किया जाए।

पिछले साल 16 से 19 अगस्त के बीच राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिशासी निदेशक डॉ. पीयूष रौतेला के नेेतृत्व में एक टीम ने जोशीमठ का सर्वेक्षण किया था।

 शोध के बाद उन्होंने नवंबर माह में 28 पृष्ठों की रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। इसमें उन्होंने माना था कि जोशीमठ के नीचे अलकनंदा में कटाव के साथ ही सीवेज और ड्रेनेज की व्यवस्था न होने से पानी जमीन में समा रहा है। इससे जमीन धंस रही है।

जुलाई 2022 को चार भू-विज्ञानियों प्रो. एसपी सती, डॉ. नवीन जुयाल, प्रो. वाईपी सुंदरियाल और डॉ. शुभ्रा शर्मा का एक शोध पत्र टूवर्ड अंदरस्टैंडिंग द कॉज ऑफ सोयल क्रीप एंड लैंड सबसाइडेंस अराउंड हिस्टोरिकल जोशीमठ टाउन जारी किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि यहां पहाड़ी ढलानों को काटकर बहुमंजिला इमारतें खड़ी कर दी गई।

तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना की टनल जोशीमठ के नीचे करीब एक किमी गहराई में गुजर रही है। उनका कहना था कि यह सुरंग जोशीमठ व आसपास के लिए कभी भी मुश्किलें पैदा कर सकती है।

वहीं, 25 मई 2010 को करेंट साइंस शोध पत्रिका में प्रकाशित गढ़वाल विवि के पूर्व प्रोफेसर एमपीएस बिष्ट व डॉ. पीयूष रौतेला के शोध पत्र में भी स्पष्ट कहा गया था कि परियोजना की टनल बोरिंग मशीन की वजह से पानी का रिसाव बढ़ रहा है जो कि भविष्य का खतरनाक संकेत है।

आज सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर जोशीमठ धंस क्यों रहा है? वैज्ञानिकों के अपने तर्क हैं। सरकार के अपने तथ्य और इंतजामात। जोशीमठ को लेकर चार प्रमुख शोध हो चुके हैं, जिनमें अलग-अलग समय पर शोधकर्ताओं ने अलग कारण बताए।

कांग्रेस प्रदेश अधयक्ष करन माहरा ने कहा कि जोशीमठ में भू-धंसाव की चपेट में आए भवनों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई प्रारंभ करने से पहले धामी सरकार प्रभावितों के लिए कल शाम तक उचित मुआवजा राशि घोषित करें अन्यथा उत्तराखंड कांग्रेस मुख्यमंत्री आवास कूच के लिए विवश होगी।

टिहरी की तर्ज पर न्यू जोशीमठ बनाने पर सरकार विचार कर रही है, लेकिन स्थानीय लोग इसके लिए तैयार नहीं हैं। वे जोशीमठ में ही रहना चाहते हैं। हालांकि सरकार ने जोशीमठ की आबादी को शिफ्ट करने के लिए तीन स्थानों का चयन किया है। इसमें एक जोशीमठ में जेपी कालोनी के पास उद्यान विभाग की जमीन है। दूसरा पीपलकोटी और तीसरा गौचर के पास जमीन पर लोगों को शिफ्ट करने की योजना बनाई जा रही है।

प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा सरकार को जोशीमठ के मुद्दे तत्काल कैबिनेट बैठक बुलानी चाहिए थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं की। न ही इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई।

 उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार इस पूरे मामले में गैरजिम्मेदार रुख अख्तियार किए हुए है। भाजपा सरकार के किसी भी मंत्री ने जोशीमठ का दौरा नहीं किया है।

जो गए भी हैं हेलीकॉप्टर से जाकर कुछ घंटों में वापस लौट जा रहे हैं। भाजपा के एक प्रभारी मंत्री तो वहां केवल दो घंटे रहे और लौट आए। जबकि सरकार को वहां मंत्रियों की ड्यूटी लगानी चाहिए थी।

वह रात-दिन वहीं कैंप करते और आपदा प्रबंधन से जुड़ी व्यवस्थाओं को देखते।

भूधंसाव से प्रभावित भवनों का सर्वे किया जा रहा है। असुरक्षित भवनों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर अस्थायी विस्थापन किया जा रहा है। प्रभावित परिवारों को तत्कालिक तौर पर 1.5 लाख की धनराशि अंतरिम सहायता के रूप में दी जा रही है।

जिसमें 50 हजार रुपये घर शिफ्ट करने और 1 लाख रुपये आपदा राहत मद से एडवांस में उपलब्ध कराया जा रहा है। जो कि बाद में समायोजित किया जाएगा।

 

 

 

 

 

 



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