मल्हार मीडिया ब्यूरो नई दिल्ली।
मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री नरोत्तम मिश्रा को तीन साल तक चुनावी गतिविधियों से प्रतिबंधित करने के फैसले के खिलाफ लगाई गई याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। वर्ष 2008 में चुनाव के दौरान पेड न्यूज (पैसा देकर खबर छपवाने) के आरोपों को सही पाते हुई चुनाव आयोग ने उसकी सदस्यता को रद करने का निर्णय लिया है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामला दिल्ली हाई कोर्ट में भेजे जाने के बाद न्यायमूर्ति इंद्रमीत कौर की पीठ ने बृहस्पतिवार को इसपर सुनवाई की। मिश्रा की तरफ से कहा गया कि चुनाव आयोग की तरफ से इस मामले में अपनी जांच पूरी करने में काफी देरी की गई है। बहुत पहले उन्हें अयोग्य घोषित करने को लेकर निर्णय ले लेना चाहिए था। कहा गया कि उस समय छपी खबरें, संपादकीय व अग्रलेख उनके कहने पर नहीं छापे गए थे।
वहीं, शिकायतकर्ता कांग्रेस नेता राजेंद्र भाटी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि निश्चित तौर पर इस मामले की जांच पूरी करने में चुनाव आयोग ने जरूरत से ज्यादा समय लिया, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त लोगों पर बिना कार्रवाई करे ही उन्हें छोड़ दिया जाए। चुनाव आयोग द्वारा गठित एक्सपर्ट कमेटी ने पेड न्यूज के आरोप सही पाए हैं।
दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि वह सभी तथ्यों और नियमों का अध्ययन करने के बाद इसपर अपना फैसले सुनाएंगे। तबतक के लिए फैसले को सुरक्षित रखा जाता है। राष्ट्रपति के चुनाव 17 जुलाई को होने हैं। माना जा रहा है कि चुनाव से पहले ही हाई कोर्ट इस याचिका पर अपना फैसला सुना देगी।
चुनाव आयोग ने नरोत्तम मिश्रा को तीन साल तक के लिए चुनाव में हिस्सा लेने से प्रतिबंधित कर दिया था। फैसले के कारण आगामी राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लेने से वंचित हो जाने के कारण मिश्रा ने इस फैसले को मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने इसपर तत्काल फैसला लेने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद इस फैसले को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने मिश्रा को इसके लिए दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की सलाह दी थी।
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