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संसाधनों के लिए विदेशी भूमि पर नजर नहीं - मोदी

राष्ट्रीय            Jan 09, 2018


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

प्रत्यक्ष तौर पर चीन पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि संसाधनों के दोहन के लिए भारत की नजर दूसरे देशों की धरती पर नहीं है। भारतीय मूल के लोगों (पीआईओ) के संसदीय सम्मेलन को यहां संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, "हमारी किसी के संसाधन का दोहन करने की मंशा नहीं है और न ही हमारी किसी के क्षेत्र पर नजर है। हमारा ध्यान सदैव क्षमता निर्माण व संसाधन विकास पर केंद्रित रहा है।"

मोदी की यह टिप्पणी चीन के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में निवेश पर भारत की कड़ी आपत्ति के बीच आई है। चीन पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में सड़क व बिजली परियोजनाओं का निर्माण कर रहा है।

यह पहला पीआईओ संसदीय सम्मेलन है, जो चाणक्यपुरी के प्रवासी भारतीय केंद्र में आयोजित हो रहा है। भारत नौ जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) के तौर पर मनाता है, जिससे भारत के निर्माण में भारतीय मूल के साथ प्रवासी विदेशी लोगों के योगदान को चिन्हित किया जा सके। इस सम्मेलन में 124 सांसद व 23 देशों के 17 मेयर भाग ले रहे हैं।

मोदी ने अपने भाषण में कहा कि उनकी सरकार बदलाव के सुधार के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत का पालन कर रही है, जिसने भारत को उस रवैए से आगे बढ़ने में मदद की है, जिसमें यह माना जाता था कि जैसा पहले था वैसा चलता रहेगा, कुछ बदलेगा नहीं।

उन्होंने कहा, "हमारे लोगों की सोच, मकसद और आकांक्षा हमेशा ऊंची रही है और यही वजह है कि देश में बदलाव हो रहा है। विश्व बैंक, आईएमएफ, मूडी भारत की तरफ सकारात्मक नजर से देख रहे हैं।"

उन्होंने कहा कि सरकार का मकसद भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करना है और जीएसटी के क्रियान्वयन के साथ इसने कई कर दरों को हटा दिया और कई व्यापारों में लेनदेन में पारदर्शिता आई है।

उन्होंने कहा, "21वीं सदी की जरूरतों पर ध्यान देते हुए सरकार प्रौद्योगिकी, परिवहन में निवेश बढ़ा रही है।"

मोदी ने विदेशों में बसे भारतीयों के वहां की भू-राजनीति को प्रभावित करने और नीतियां बनाने में उनके योगदान के लिए उनकी सराहना की।

मोदी ने कहा, "हमे गर्व महसूस होता है। यदि मैं राजनीति के बारे में बात करूं तो मैं देख रहा हूं कि भारतीय मूल के लोगों की एक छोटी संसद हमारे समक्ष बैठी है। मैं कल्पना कर सकता हूं कि आपके पूर्वज आप को यहां बैठा हुआ देखकर कितना खुश होंगे।"

उन्होंने कहा कि 21वीं सदी एशिया की सदी मानी जा रही है और भारत की इसमें प्रमुख भूमिका होगी और आप को हमारी वृद्धि से गर्व महसूस होगा।



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