मल्हार मीडिया ब्यूरो।
देश के अगले चीफ जस्टिस जस्टिस संजीव खन्ना होंगे. वे 11 नवंबर को पद संभालेंगे. वे देश के 51वें चीफ जस्टिस होंगे. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इसका ऐलान किया है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश संजीव खन्ना के नाम की सिफारिश की थी. सरकार ने निवर्तमान CJI को पत्र लिखकर मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर के अनुसार अपनी सिफारिश भेजने को कहा था. दरअसल चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ दो साल के कार्यकाल के बाद 10 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं.
वह न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने के एक दिन बाद 11 नवंबर को शपथ लेंगे. न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने 8 नवंबर, 2022 को सीजेआई के रूप में पदभार संभाला. प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति खन्ना का कार्यकाल करीब छह महीने का होगा और वह 13 मई 2025 को सेवानिवृत्त होंगे.
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, ''भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए माननीय राष्ट्रपति भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को 11 नवंबर, 2024 से भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करते हुए प्रसन्न हैं.
जस्टिस संजीव खन्ना का करियर
जस्टिस संजीव खन्ना ने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन कराया था. यहीं से उन्होंने कानूनी सफर की शुरुआत की थी. शुरुआत में जस्टिस खन्ना तीस हजारी स्थित जिला अदालतों में प्रैक्टिस करते थे. जस्टिस संजीव खन्ना ने संवैधानिक कानून, मध्यस्थता, कमर्शियल लॉ, कंपनी लॉ और आपराधिक कानून सहित अलग-अलग क्षेत्रों में प्रैक्टिस किया. उन्होंने आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील के तौर पर काम किया. बाद में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए स्थायी वकील (सिविल) के रूप में जिम्मेदारी संभाली. उनकी विशेषज्ञता आपराधिक कानून में भी थी. उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में एडिशनल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर के तौर पर कई मामलों में बहस की. अक्सर महत्वपूर्ण मामलों में दिल्ली हाईकोर्ट की सहायता के लिए एमिकस क्यूरी के रूप में कार्य किया. जस्टिस खन्ना को 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में पदोन्नत किया गया था. 2006 में वह स्थायी न्यायाधीश बन गए.
जस्टिस संजीव खन्ना के बड़े फैसले
जस्टिस संजीव खन्ना ने जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में अपनी नियुक्ति से पहले किसी भी हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के रूप में कार्य नहीं किया था. जस्टिस खन्ना ने ही लोकसभा चुनावों के दौरान प्रचार करने के लिए दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी. जस्टिस खन्ना ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में डाले गए वोटों के 100% वीवीपैट सत्यापन के अनुरोध को अस्वीकार किया था.वह इस केस में बेंच का नेतृत्व कर रहे थे.चुनावी बॉन्ड योजना वाले मामले में जस्टिस खन्ना पांच न्यायाधीशों वाली पीठ में शामिल थे. इस पीठ ने चुनावी बॉन्ड योजनाको असंवैधानिक घोषित कर दिया था.आर्टिकल 370 को निरस्त करने का फैसला बरकरार रखने वाली पांच न्यायाधीशों वाली पीठ में भी जस्टिस खन्ना शामिल थे.
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