मल्हार मीडिया ब्यूरो।
भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में उन रिपोर्ट्स को खारिज किया था, जिनमें 30 दिसंबर तक 97 पर्सेंट 500 और 1000 के पुराने नोट वापस आने का दावा किया गया था। अब उसके आधिकारिक आंकड़ों में ही यह बात सही साबित होती दिख रही है। आरबीआई की ओर से प्रचलित करंसी को लेकर जारी साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक यह अनुमान सही है। इन आंकड़ों के अनुसार 8 नवंबर को नोटबंदी के बाद सिर्फ 54,000 करोड़ रुपये के पुराने नोट वापस नहीं आए। आरबीआई की ओर से आखिरी बार 19 दिसंबर को यह जानकारी दी गई थी कि नोटबंदी के बाद कितने पुराने नोट वापस लौटे हैं। हालांकि कितनी संख्या में नए नोट जारी किए गए हैं, इसकी जानकारी स्पष्ट नहीं थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने 8 नवंबर को बड़ी घोषणा करते हुए 500 और 1000 रुपये के नोटों को अमान्य घोषित कर दिया था। इसके बाद 30 दिसंबर तक बैंकों में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को जमा कराया जाना था।
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक नोटबंदी के बाद केवल 54,000 करोड़ रुपये की रकम ही बैंकों में वापस जमा नहीं हो पाई। यह आंकड़ा इस लिहाज से भी चौंकाने वाला है कि 19 दिसंबर के बाद से कोई नया नोट जारी नहीं किया गया। इस लिहाज से बैंकों में जमा होने वाले पुराने नोटों की संख्या और भी अधिक हो सकती है।
जबकि सरकार को इस बात का अनुमान था कि नोटबंदी के बाद करीब 3 लाख करोड़ रुपये के अधिक की रकम बैंकों में वापस नहीं आएगी। एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के बाद बैंकों में करीब 3 लाख करोड़ रुपये के नोटों के वापस नहीं आने की उम्मीद थी।
आरबीआई की ओर से आखिरी बार 19 दिसंबर को यह जानकारी दी गई थी कि नोटबंदी के बाद कितने पुराने नोट वापस लौटे हैं। हालांकि नए नोटों की संख्या के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। इसके अलावा आरबीआई ने अबी तक नए नोटों की संख्या के बारे में भी जानकारी नहीं दी है। शुक्रवार को आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक 6 जनवरी तक बाजार में 8.98 लाख करोड़ रुपये के नोट आ चुके हैं।
इससे पहले 5 जनवरी को आरबीआई ने न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग के उन आंकड़ों को लेकर सफाई मांगी थी जिसमें यह दावा किया गया था कि नोटबंदी के बाद बैंकों में 97 फीसदी पुराने नोट वापस आ चुके हैं।
8 नवंबर को राज्यसभा में वित्त मंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा था कि करेंसी बाजार में 500 रुपये के 1716.5 करोड़ नोट थे जबकि 1000 रुपये के 685.8 करोड़ नोट थे।
500 और 1000 रुपये के कुल नोटों को मिलाने के बाद करेंसी बाजार में 15.44 लाख करोड़ रुपये चल रहे थे। इसके बाद वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा था कि 500 औऱ 1000 रुपये के नोट करेंसी मार्केट का करीब 86 फीसदी है जिसकी कीमत करीब 17.97 लाख करोड़ रुपये है।
10 नवंबर से 30 दिसंबर तक बैंकों में 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट जमा किए गए। इसके अलावा आरबीआई की ओर से 500 और 2000 के अलावा छोटी करेंसी के भी नोट जारी किए गए। 18 नवंबर को आरबीआई की ओर से जारी डेटा के मुताबिक कुल 14.27 लाख करोड़ रुपये की करेंसी सर्कुलेशन में थी। इसमें 2.51 लाख करोड़ रुपये छोटी करेंसी में थे, जिन्हें बैन नहीं किया गया। इसके अलावा नए जारी किए गए नोट और बैन करेंसी नोट भी इस आंकड़े में शामिल थे। हालांकि आरबीआई की ओर से नए नोटों को जारी करने का सटीक आंकड़ा नहीं बताया गया।
7 दिसंबर को मौद्रिक समीक्षा नीति को लेकर डिप्टी गवर्नर आर गांधी के मुताबिक 6 दिसंबर तक कुल 4 लाख करोड़ रुपये के नए करेंसी नोट सर्कुलेशन में आ चुके थे। इनमें 1.06 लाख करोड़ रुपये 100 और उससे कम की करेंसी नोट के थे, जबकि 2.94 लाख करोड़ रुपये 500 और 2000 के नोटों में थे।
9 दिसंबर को जारी आंकड़ों के अनुसार कुल 9.81 लाख करोड़ रुपये की करेंसी सर्कुलेशन में थी। इसमें 2.51 लाख करोड़ रुपये की छोटी करेंसी थी, जो 8 नवंबर से पहले की थी। इसके अलावा 1.06 लाख करोड़ रुपये की नई छोटी करेंसी थी। वहीं 2.94 करोड़ रुपये के 500 और 2000 रुपये के नए नोट थे।
मतलब यह हुआ कि 9 दिसंबर तक आरबीआई के पास सिर्फ 3.29 लाख करोड़ रुपये के बैन नोट वापस आने रह गए थे। दूसरे शब्दों में कहें तो कुल 15.44 लाख करोड़ रुपये के 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों में से 12.14 लाख करोड़ की करेंसी वापस आ गई। 13 दिसंबर को आरबीआई की ओर से मीडिया में दिए गए बयान में भी यह बात कही गई थी।
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