मल्हार मीडिया ब्यूरो।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नवजात बच्चियों की सुरक्षा और देश में स्वस्थ बच्चों को बढ़ावा देने के लिए जनआंदोलन करने का आह्वान किया। इसके अलावा उन्होंने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान का देश के सभी जिलों में विस्तार किया और एक नए कार्यक्रम राष्ट्रीय पोषण मिशन (एनएनएम) की शुरुआत की।
मोदी ने कहा, "हमें इस समस्या से बाहर निकलने की जरूरत है। इसके बावजूद, मैं कहता हूं कि यह केवल सरकार के बजट से संभव नहीं है। यह तब होगा जब इसके लिए जनआंदोलन होगा। लोगों को शिक्षित करना होगा, समझदार बनाना होगा।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी में देश 18वीं सदी से भी बदतर हो गया है जहां बच्चियों को दूध के टब में डूबोने से पहले कम से कम पैदा तो होने दिया जाता था। आज के दौर में, बच्चियों को बिना अपनी मां को देखे ही पेट में ही मार दिया जाता है। देश को इस माइंडसेट से बाहर आने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, "जिन्हें यह लगता है कि बेटे वृद्धावस्था में मदद करेंगे, स्थिति अलग है। मैंने ऐसे कई परिवारों को देखा है, जहां बूढ़े मां-बाप अपने चार बेटों के ऐशो-आराम से रहने के बावजूद वृद्धावस्था आनाथाश्रम में बिताते हैं। मैंने ऐसे भी परिवार को देखा है, जहां एक बेटी बिना शादी किए नौकरी करती है, ताकि उनके मां-बाप को बुढ़ापे में मुश्किलों का सामना न करना पड़े।"
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर उन्होंने कहा, "देश में लैंगिक असमानता पिछली पांच-छह पीढ़ियों से है और अगर नागरिक बेटे व बेटियों के जन्म लेने पर भेदभाव नहीं करने का निर्णय करें तो लैंगिक असमानता को दो-तीन पीढ़ियों बाद मिटाया जा सकता है। "
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