मल्हार मीडिया ब्यूरो।
सर्वोच्च न्यायालय ने वध के लिए मवेशियों की बिक्री पर प्रतिबंध संबंधी अधिसूचना को चुनौती देती एक याचिका पर गुरुवार को केंद्र से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति आर.के. अग्रवाल और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अवकाशकालीन पीठ ने केंद्र को हैदराबाद के एक वकील की याचिका पर दो सप्ताह में जवाब देने को कहा है।
अदालत ने मामले को 11 जुलाई को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पी.एस. नरसिम्हा 23 मई को जारी की गई दो अधिसूचनाओं के उद्देश्य पर बयान देना चाहते थे, जिस पर पीठ ने उन्हें अपने जवाब में इस बारे में बताने को कहा।
केंद्र सरकार के मुताबिक मवेशी बिक्री संबंधी कानून को पशु बाजारों में जारी अनियमितताओं को दूर करने को लेकर बनाया गया है। इसका उद्देश्य मवेशियों की खरीद और बिक्री पर रोक लगाना नहीं है।
गौरतलब है कि मोदी सरकार के पर्यावरण मंत्रालय की ओर से 25 मई को नया मवेशी बिक्री संबंधी कानून लाया गया है, जिसके तहत गाय और भैंस के वध पर पर रोक लगा दी गयी। केंद्र के इस आदेश के खिलाफ हैदराबाद के वकील फहिम कुरैशी ने दायर की गयी। फहिम के मुताबिक सरकार का मवेशी बिक्री को लेकर जारी किया गया नया नियम संविधान के अनुरुप नहीं है। यह पूरी तरह से किसानों और व्यापारियों का रोजगार छीनने वाला है। फहीम का मानना है कि केंद्र के आदेश से एक लाख करोड़ सालाना करोबार वाली मीट इंडस्ट्री बर्बाद हो जाएगी। इस कानून को लेकर कोर्ट के बाहर भी एक लड़ाई लड़ी जा रही है। इसी के तहत केरल में कांग्रेस पार्टी की युवा इकाई ने गाय के बछड़े को काटकर विरोध जताया, जबकि चेन्नई आईआईटी में छात्रों द्वारा बीफ पार्टी मनाई गयी।
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