
डॉ. प्रकाश हिंदुस्तानी।
कोबरा पोस्ट ने 30 अक्टूबर 2025 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी जांच रिपोर्ट 'The Lootwallahs: How Indian Business is Robbing Indians (Part I)' जारी की.
इस रिपोर्ट में अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस ADA ग्रुप (जिसमें रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, रिलायंस पावर, रिलायंस कम्युनिकेशंस आदि शामिल हैं) पर बड़े पैमाने पर बैंकिंग फ्रॉड के आरोप लगाए गए हैं।
यह रिपोर्ट सार्वजनिक दस्तावेजों, कोर्ट ऑर्डर, NCLT/SEBI/MCA/RBI के रिकॉर्ड्स पर आधारित है। हालांकि, अनिल अंबानी की रिलायंस ग्रुप ने इन आरोपों को "झूठा, आधारहीन और प्रतिद्वंद्वी कंपनियों की साजिश" बताते हुए खारिज कर दिया है और दावा किया है कि कोबरा पोस्ट 2019 से निष्क्रिय था और अब संपत्ति हथियाने के लिए पुनर्जीवित किया गया है।
मुख्य घोटाले :
कोबरा पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, अनिल अंबानी की कंपनियों ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और निवेशकों से उधार लिए गए फंड्स को गैरकानूनी तरीके से प्रमोटर ग्रुप कंपनियों (जैसे रिलायंस इनोवेंचर) में डायवर्ट किया।
फंड डायवर्शन: दर्जनों पास-थ्रू कंपनियों (शेल कंपनियां) के जरिए फंड्स को सिंगापुर, साइप्रस, मॉरीशस, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स और जर्सी जैसे टैक्स हेवन में रूट किया गया।
कमर्शियल पेपर्स (CP) का दुरुपयोग: यस बैंक और अन्य बैंकों से जारी CP के जरिए फंड्स जुटाए गए, लेकिन इन्हें प्रमोटर एंटिटीज़ में ट्रांसफर कर दिया गया।
अन्य उदाहरण: 2008 में रिलायंस कम्युनिकेशंस के फंड्स से अनिल अंबानी की पत्नी टीना अंबानी के लिए 20 मिलियन डॉलर की लग्जरी यॉट खरीदी गई, जो लिस्टेड कंपनी के फंड्स का दुरुपयोग था।
ये घोटाले 2010-2020 के बीच हुए, जब ADA ग्रुप की कंपनियां कर्ज के बोझ तले दबीं।
रिपोर्ट में अन्य कंपनियों (जैसे यस बैंक के राणा कपूर से जुड़े मामलों) का भी जिक्र है, लेकिन फोकस अनिल अंबानी पर है।
घोटाले कैसे किए गए?
तरीका : बैंकों से लोन/फंड्स लिए गए, लेकिन End-Use Certificate (फंड्स के उपयोग का प्रमाण) में झूठे दावे किए। फंड्स को शेल कंपनियों के जरिए प्रमोटर ग्रुप में भेजा गया, जहां से ये व्यक्तिगत खर्चों या अन्य प्रोजेक्ट्स में लगे।
उदाहरण : यस बैंक कनेक्शन - राणा कपूर के साथ मिलकर 2,700 करोड़ रुपये के निवेश में फंड डायवर्शन। CBI की चार्जशीट में कहा गया कि अनिल अंबानी और कपूर बिना बैंक अधिकारियों के मीटिंग करते थे, और क्विड प्रो क्वो (quid pro quo) में रिलायंस निप्पॉन म्यूचुअल फंड ने यस बैंक के AT-1 बॉन्ड्स में 2,250 करोड़ और मॉर्गन क्रेडिट्स के NCD में 1,160 करोड़ निवेश किया।
SBI/RCom फ्रॉड: 2,227 करोड़ का प्रिंसिपल + ब्याज डिफॉल्ट, जिसे SBI ने जून 2025 में फ्रॉड घोषित किया।
ED जांच: 3,000 करोड़ के लोन फ्रॉड में 50+ कंपनियों और 25 लोगों पर छापे (जुलाई 2025), जहां लोन मंजूर होने से पहले ही फंड्स ट्रांसफर हो गए।
कुल डेट एक्सपोजर: मार्च 2025 तक ADA एंटिटीज़ का कर्ज 1,78,491 करोड़ था, लेकिन रिकवरी बहुत कम।
अनिल अम्बानी और उनकी कंपनियों ने ये हथकंडे अपनाये थे :
सरकार/नियामकों से बचने के लिए
लीगल टैक्टिक्स अपनाई गई. कोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर जांच स्थगित करवाईं। उदाहरण: बॉम्बे हाईकोर्ट में SBI के फ्रॉड नोटिस पर याचिका, लेकिन बाद में वापस ली। कनारा बैंक ने फ्रॉड टैग हटाया (जुलाई 2025)।
मीडिएशन: रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज के जरिए सेटलमेंट, जैसे रिलायंस इंफ्रा ने CLE प्राइवेट लिमिटेड के साथ 6,500 करोड़ का केस सुलझाया।
इंसॉल्वेंसी प्रोसेस : NCLT में IBC (इंसॉल्वेंसी एंड बैंकrup्टसी कोड) के तहत मामलों को लटकाया। अनिल अंबानी पर पर्सनल इंसॉल्वेंसी चलेगी।
SEBI बैन: 5 साल का ट्रेडिंग बैन (2020 से), लेकिन अपील में राहत की कोशिशें।
लुकआउट नोटिस: ED ने अगस्त 2025 में जारी किया, लेकिन अनिल अंबानी ने ED के सामने पेश होकर बचाव किया। CBI/ED छापों (अगस्त 2025) के बावजूद कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।
पूरा घोटाला कितनी राशि का?
कोबरा पोस्ट के अनुसार मुख्य फ्रॉड 28,874 करोड़ रुपये (बैंकों/निवेशकों से डायवर्टेड फंड्स)।
कुल मनी फ्लो : 41,900 करोड़ रुपये (डायवर्शन + विदेशी फंड्स, जिसमें US$ 1.53 बिलियन डाउटफुल इनफ्लो शामिल)।
कुल डेट: 1,78,491 करोड़ (मार्च 2025 तक), जिसमें रिकवरी बहुत कम (केवल कुछ हजार करोड़)।
ये आंकड़े सार्वजनिक रिकॉर्ड्स पर आधारित हैं, लेकिन रिलायंस ग्रुप इन्हें "पुरानी, तोड़-मरोड़कर पेश की गई जानकारी" बता रहा है।
संभावित अंजाम क्या होंगे?
CBI/ED जांच तेज हो सकती है। CBI ने यस बैंक केस में अनिल अंबानी, उनके बेटे जय अनमोल अंबानी (रिलायंस कैपिटल के पूर्व ED) और 13 अन्य पर चार्जशीट दाखिल की। मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) के तहत संपत्ति जब्ती, गिरफ्तारी संभव। SEBI/NCLT में और सख्ती।
शेयर प्राइस क्रैश (रिलायंस इंफ्रा/पावर में पहले ही गिरावट), निवेशकों का नुकसान (55 लाख शेयरधारक प्रभावित)। इंसॉल्वेंसी में संपत्तियां बिक्री (जैसे दिल्ली एयरपोर्ट स्टेक)।
व्यक्तिगत: अनिल अंबानी पर पर्सनल गारंटी के कारण दिवालियापन, यात्रा प्रतिबंध। हालांकि, सेटलमेंट से बच सकते हैं, जैसा पहले हुआ।
बाजार प्रभाव: प्रतिद्वंद्वी कंपनियां (जिन्हें रिलायंस साजिश का दोषी ठहरा रहा) संपत्तियां सस्ते में हथिया सकती हैं। कुल मिलाकर, अगर साबित हुए तो जेल/जुर्माना, वरना कोर्ट में लंबी लड़ाई।
(यह जानकारी हालिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। मामला चल रहा है.)
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