मल्हार मीडिया ब्यूरो।
मासूम बच्चियों से दुष्कर्म रोकने के लिए सख्त कानून की मांग पूरी होने पर राजघाट पर अनशन कर रहीं दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने 10वें दिन रविवार को दोपहर दो बजे छोटी बच्चियों के हाथों खाना खाकर अपना अनशन तोड़ा। फांसी की सजा वाले अध्यादेश पर राष्ट्रपति की मुहर लगने को उन्होंने देश की बच्चियों और महिलाओं व इनसे हमदर्दी रखने वाले करोड़ों लोगों की 'ऐतिहासिक जीत' बताया।
केंद्र सरकार के कैबिनेट ने शनिवार को 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से दुष्कर्म करने वालों को छह महीने के भीतर फांसी के प्रावधान वाले अध्यादेश को मंजूरी दी थी। उम्मीद की जा रही थी कि वह यह खबर सुनकर अनशन खत्म कर देंगी, लेकिन उन्होंने अध्यादेश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविद के हस्ताक्षर होने तक अनशन जारी रखा।
बेहद कमजोर दिख रहीं स्वाति ने कहा, "मैंने उम्मीद नहीं की थी कि हमारा आंदोलन इस तरह बड़ा रूप लेगा, हमें देशभर से समर्थन मिलेगा और महिलाओं की आवाज सुनी जाएगी। हमने दिल्ली महिला आयोग को मिले पांच लाख पत्र प्रधानमंत्री को भेजे थे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जब कठुआ और सूरत कांड पर समूचे देश में भारी आक्रोश पनपा, तब केंद्र सरकार जागी। प्रधानमंत्री ने विदेश दौरे से लौटते ही कैबिनेट की विशेष बैठक बुलाई और अध्यादेश पारित किया। यह हम सभी लोगों के लिए एक ऐतिहासिक जीत है।"
स्वाति (33) ने मीडिया से कहा, "मैं कानून का स्वागत करती हूं और अपना अनशन तोड़ती हूं। नरेंद्र मोदी ने एक जिद्दी बेटी की बात मान ली, इसलिए उन्हें शुक्रिया कहती हूं।"
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष काफी दिनों से 'रेप रोको' आंदोलन चला रही थीं। इसी आंदोलन के तहत उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि राजघाट पर आमरण अनशन शुरू किया था।
उन्होंने कहा, "जब मैंने अनशन करने का फैसला किया तो लोगों ने मेरा मजाक उड़ाया। कहा कि लड़की होके अनशन करेगी? दो दिन से ज्यादा भूखी नहीं रह पाएगी, लेकिन आज मैं कह सकती हूं कि एक महिला कुछ भी कर सकती है और हौसला बुलंद रखे तो हर चीज हासिल कर सकती है। हमारी लड़ाई में सहयोग देने के लिए मैं हर किसी का धन्यवाद करती हूं। जो लोग राजघाट पर आए उनका और जो नहीं आ पाए, लेकिन सहानुभूति रखी, उनका भी। खासकर मीडिया और पुलिस का भी धन्यवाद करती हूं।"
स्वाति ने जनवरी में जम्मू एवं कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची से दुष्कर्म व हत्या व देश के दूसरे हिस्सों में भी इसी तरह के अपराधों के खिलाफ अनशन शुरू किया था।
उन्होंने कहा, "जब पांच लाख पत्रों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई, तब मैंने अनशन शुरू किया। हमारी मांगें इतनी मजबूत थी कि सरकार को झुकना पड़ा और नए कानून को लागू करने के लिए तत्काल कदम उठाना पड़ा।"
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार सुबह आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश, 2018 को मंजूरी दे दी। इस अध्यादेश को शनिवार को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी।
स्वाति ने कहा, "लेकिन यह हमारी लड़ाई का अंत नहीं है, यह महज शुरुआत है। हमें अभी लंबा रास्ता तय करना है। यदि सरकार अपने वादे के अनुसार कानून को तीन महीने के भीतर लागू नहीं करती तो मैं फिर से अपना विरोध प्रदर्शन शुरू करूंगी।"
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