मल्हार मीडिया ब्यूरो।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और विपक्षी दलों पर जमकर हमले किए।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग विदेश नीति पर ऐसे ही बात कर देते हैं, ताकि वे परिपक्व दिखें, भले ही उन्हें इसके बारे में ज्यादा जानकारी न हो।
प्रधानमंत्री ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सुझाव दिया कि वह 'जेएफके फोर्गोटेन क्राइसिस: तिबत', 'द सीआईए एंड द सिनो-इंडियन वॉर' किताबों को पढ़ें।
प्रधानमंत्री ने यह टिप्पणी तब की है, जब विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सोमवार को लोकसभा में विदेश नीति पर बात की।
मोदी ने कहा, कुछ लोग विदेश नीति पर ऐसे ही बोल देते हैं, चाहे उन्हें इसके बारे में गहरी जानकारी न हो और चाहे इससे देश को कुछ भी नुकसान हो। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि (देश के पहले प्रधानमंत्री) जवाहर लाल नेहरू के समय विदेश नीति के नाम पर एक तरह का खेल हुआ था।
हमें बड़े लक्ष्य पार करके रहेंगे। ये तो अभी हमारी तीसरी ही टर्म है। हम देश की आवश्यकता के अनुसार आधुनिक भारत बनाने के लिए आने वाले अनेक वर्षों तक जुटे रहने वाले लोग हैं। मैं सभी दलों से आग्रह करता हूं कि अपनी अपनी राजनीतिक विचारधाराएं होंगी, लेकिन देश से बड़ा कुछ नहीं हो सकता है। मिलकर विकसित भारत के सपने को पूरा करेंगे। देश विकसित होगा, हमारे बाद की जो पीढ़ियां होंगी। कहेंगी कि 2025 में एक संसद थी, जिसका हर सांसद देश को विकसित बनाने के लिए काम कर रहा है।
विकसित भारत का सपना सरकारी सपना नहीं, 140 करोड़ देशवासियों का सपना है। दुनिया में उदाहरण हैं। 20-25 साल के कालखंड में दुनिया के कई देश विकसित हुए। हमारे पास डेमोग्राफी है, डेमोक्रेसी है, डिमांड है तो हम क्यों नहीं बन सकते।
2014 से पहले खिलौने जैसी चीजें इम्पोर्ट करते थे। आज छोटे उद्योग दुनिया में एक्सपोर्ट कर रहे हैं और खिलौने के आयात में कमी आई। खिलौनों के एक्सपोर्ट में 239 फीसदी की बढ़ोतरी आई है। इलेक्ट्रिकल सामान एक्सपोर्ट कर रहे हैं।
एमएसएमई बहुत बड़ी संख्या में रोजगार लाता है। ये छोटे उद्योग आत्मनिर्भर भारत के प्रतीक हैं। हमारा एमएसएमई सेक्टर योगदान दे रहा है। इन्हें सरलता, सहूलियत और संपर्क दे रहे हैं। मिशन मैन्युफैक्चिरिंग शुरू किया है। इसमें सुधार के लिए 2006 में इसके लिए एक क्राइटेरिया बना था। हमने 10 साल में इसे अपडेट करा। हर तरफ उन्हें आर्थिक सहायता दी जा रही है। कोविड के समय एमएसएमई को विशेष बल दिया गया। हमने खिलौना उद्योग को बढ़ावा दिया, कपड़ा उद्योग को कैश फ्लो की कमी नहीं होने दी। बिना किसी गारंटी लोन दिया। नौकरियां बढ़ीं। छोटे उद्योगों के लिए क्रेडिट गारंटी कवरेज की दिशा में कदम उठाए।
12 हजार इलेक्ट्रिक बसों ने देश में दौड़ाना शुरू कर दिया है। दिल्ली को भी ये सेवा दी गई है। बड़े शहरों में गिग इकोनॉमी बन रही है। लाखों युवा इसमें जुड़ रहे हैं। ई-श्रम पर ऐसे गिग वर्कर्स की रजिस्ट्री करवाएं, उनको आईडी कार्ड मिलेगा और उन्हें आयुष्मान का लाभ दिया जाएगा। अनुमान है कि देश में करीब एक करोड़ गिग वर्कर्स हैं।
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