मल्हार मीडिया ब्यूरो।
त्रिपुरा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी इंडीजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) सहित विभिन्न जनजातीय राजनीतिक दलों ने राज्य में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की मांग की है। मुख्यमंत्री विप्लब कुमार देव ने हालांकि कहा कि सीमावर्ती राज्य में प्रत्येक नागरिक के पास वैध दस्तावेज हैं और यहां एनआरसी की कोई मांग नहीं है।
आईपीएफटी के अतिरिक्त जनजातीय राजनीतिक दलों इंडीजिनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ त्रिपुरा (आईएनपीटी) और नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ त्रिपुरा (एनसीटी) ने असम की तरह त्रिपुरा में भी नागरिक रजिस्टर की मांग की।
आईपीएफटी के उपाध्यक्ष अनंत देववर्मा ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा, "हम त्रिपुरा में एनआरसी की मांग को लेकर पहले भी रैली निकाल चुके हैं। आईपीएफटी 23 अगस्त को खुमुलंग (त्रिपुरा ट्राइबल एरियाज ऑटोनोमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल हेडक्वार्टर) में विशाल रैली आयोजित करेगी।"
मुख्यमंत्री विप्लब कुमार देव की अध्यक्षता वाले नौ सदस्यीय मंत्रिमंडल में आईपीएफटी के दो मंत्री हैं। 60 सीटों वाली त्रिपुरा विधानसभा में आईपीएफटी के आठ सदस्य हैं।
उन्होंने कहा कि भारत के वास्तविक नागरिकों तथा स्थानीय आदिवासियों की सुरक्षा के लिए एनआरसी बहुत जरूरी है।
एनसीटी के महासचिव अनिमेश देववर्मा ने कहा, "हमारी पार्टी ने भी त्रिपुरा में एनआरसी की मांग मजबूती से रखी है और इसमें सभी के सहयोग की जरूरत है। एनआरसी पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को बचाना होगा।"
आईएनपीटी, आईपीएफटी और एनसीटी ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 को वापस लेने की मांग की है। यह विधेयक फिलहाल भाजपा सांसद राजेंद्र अग्रवाल की अध्यक्षता वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास विचाराधीन है।
यह विधेयक नागरिकता अधिनियम 1955 को संशोधित कर 2016 जुलाई में लोकसभा में पेश किया गया था।
इसके अनुसार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के अवैध आव्रजकों को नागरिकता प्रदान की जाएगी।
मुख्यमंत्री विप्लब कुमार देव ने मंगलवार को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की थी।
देव ने कहा, "त्रिपुरा में सब ठीक है और सभी के पास वैध दस्तावेज हैं। इसलिए त्रिपुरा के लिए यह मुद्दा नहीं है।"
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