मल्हार मीडिया ब्यूरो।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को यहां राज्यपालों से कहा कि वे अपने पद का इस्तेमाल देश के हाशिये पर पड़े लोगों के जीवन में बदलाव लाने और साथ ही देश में शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए करें। उन्होंने राज्यपालों और उपराज्यपालों के 49वें सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में कहा, "राज्यपाल के नाते आप उन नागरिकों के बेहतर जीवन को आकार दे सकते हैं, जिन्हें हमारी विकास यात्रा से फायदा नहीं मिला है।"
उन्होंने कहा, "संविधान के अनुसार, राज्यपाल के पद का शासन की योजना में ऊंचा स्थान होता है। राज्यपाल राज्य में मार्गदर्शक और संघीय ढांचे में एक महत्वपूर्ण कड़ी होता है।"
कोविंद ने कहा, "राज्य के लोग राज्यपाल और राजभवन को आदर्श और मूल्यों के स्रोत के रूप में देखते हैं।"
इस वर्ष इस सम्मेलन का उद्देश्य देश की विकास यात्रा मे पीछे छूट गए नागरिकों के लिए योजनाओं को लागू करने के प्रति राज्यपालों व उपराज्यपालों को संवेदनशील बनाना था।
सम्मेलन में आंतरिक सुरक्षा, उच्च शिक्षा, कौशल विकास, 48वें सम्मेलन के दौरान गठित राज्यपालों की समिति की रपट पर उठाए गए कदम, महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
कोविंद ने कहा, "हमारे देश में 10 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो अनुसूचित जनजाति वर्ग से आते हैं। इनमें से एक बड़ी आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती है, जो कि संविधान की पांचवीं और छठी अनुसूची में शामिल है।"
उन्होंने कहा कि देश के 69 प्रतिशत विश्वविद्यालय राज्य सरकारों की परिधि में आते हैं, जहां राज्यपाल कुलाधिपति हैं और 94 प्रतिशत छात्र उच्च शिक्षा के लिए नामांकन करवाते हैं।
इस समारोह में सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के राज्यपालों और उपराज्यपालों के अलावा नीति आयोग के सीईओ और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
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