मल्हार मीडिया ब्यूरो।
मणिपुर में जारी हिंसा के बीच केंद्र सरकार ने अब बड़ा कदम उठाया है। इस बार 'ऑल आउट' एक्शन प्लान का मसौदा तैयार किया गया है। देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल 'सीआरपीएफ' को लीड रोल में रखा जाएगा। केंद्र सरकार में विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, मणिपुर में 24 घंटे ऑपरेशन शुरु होगा।
विद्रोहियों और हिंसक वारदातों में शामिल लोगों को उनके ठिकानों से बाहर निकाला जाएगा। पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मणिपुर में अर्धसैनिक बलों के 2,500 अतिरिक्त जवानों की तैनाती की थी। केंद्रीय बलों की 20 कंपनियों में से सीआरपीएफ की 15 और बीएसएफ की पांच कंपनियां शामिल थीं। अब बच्चों व महिलाओं सहित छह लोगों मौत के बाद सीआरपीएफ की चालीस अतिरिक्त कंपनियों को मणिपुर में रवाना करने की तैयारी हो रही है। इसके बाद सेना, लोकल पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों की संख्या लगभग एक लाख के पार पहुंच जाएगी।
कि मणिपुर में सात नवंबर से लेकर अब तक लगभग बीस लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में हिंसा और आगजनी की वारदात हो रही हैं। गुस्से में आए लोगों ने मुख्यमंत्री एवं दस विधायकों के घरों को भी नहीं बख्शा। नतीजा, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 14 नवंबर को इंफाल पश्चिम जिले में सेकमाई व लामसांग, इंफाल पूर्व में लामलाई, बिष्णुपुर में मोइरांग, कांगपोकपी में लीमाखोंग और जिरीबाम जिले में जिरीबाम के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम 'अफ्स्पा' लागू कर दिया गया है। सीआरपीएफ डीजी अनीश दयाल सिंह मणिपुर पहुंच चुके हैं। राज्य सरकार ने केंद्र से अनुरोध किया है कि 14 नवंबर को जिन क्षेत्रों में 'अफ्स्पा' लागू किया है, उसे जनहित में वापस लिया जाए।
सूत्रों ने बताया, अब जो 'ऑल आउट' एक्शन प्लान तैयार किया गया है, उसमें विद्रोहियों को उनके ठिकानों पर दबिश देकर दबोचा जाएगा। इस मामले में केंद्रीय खुफिया एजेंसी की बड़ी मदद ली जा रही है। मणिपुर में कितने सशस्त्र समूह सक्रिय हैं, उनके पास कौन से हथियार हैं, छिपने का ठिकाना और म्यांमार से लगते सीमावर्ती इलाकों में उनकी पहुंच, ये सभी जानकारी जुटा ली गई है। सेना, असम राइफल और सीएपीएफ के जवान, बॉर्डर के निकटवर्ती क्षेत्रों में छापामारी करेंगे। बाकी सुरक्षा बल, अंदर के क्षेत्रों में उपद्रवियों से निपटेंगे। इस ऑपरेशन के तहत, मणिपुर में तैयार किए गए बफर जोन का सख्ती से पालन कराया जाएगा।
इससे पहले सितंबर के दौरान मणिपुर में जातीय संघर्ष के मद्देनजर, केंद्र सरकार ने 'सीआरपीएफ' की दो नई बटालियनों की तैनाती का निर्देश दिया था। 2,000 से अधिक सीआरपीएफ जवानों को विभिन्न इलाकों में तैनात किया गया। एक बटालियन, वारंगल से और दूसरी लातेहार से रवाना की गई थी। मणिपुर में सीआरपीएफ जवानों को ड्रोन गन प्रदान की गई हैं। इसकी मदद से ड्रोन या मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) को जाम किया जा सकता है। मणिपुर में कुछ माह पहले घुसपैठियों को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा निर्णय लिया था। भारत-म्यांमार के बीच 1610 किमी लंबे बॉर्डर को सील करने के मकसद से हैवी फेंसिंग लगाने का काम शुरु किया गया है। इससे घुसपैठ रोकने में मदद मिलेगी।
पहले चरण में मोरेह के ऊपर लगभग 10 किलोमीटर की सीमा पर बाड़ लगाने के अलावा एक अन्य स्थान पर 21 किलोमीटर की सीमा पर, बाड़ लगाने का काम प्रारंभ हो चुका है। सुरक्षा संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति ने लगभग 31 हजार करोड़ रुपये की लागत से भारत-म्यामांर के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बाड़ लगाने और सीमा सड़कों के निर्माण के काम को सैधांतिक रूप से मंजूरी दे दी है। भारत सरकार ने भारत और म्यांमार सीमा पर मुक्त आवाजाही व्यवस्था (एफएमआर) को समाप्त कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा मणिपुर की सुरक्षा स्थिति की नियमित समीक्षा कर आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है।
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