मल्हार मीडिया ब्यूरो।
भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए पाकिस्तान को जमकर निशाने पर लिया।
सुषमा ने ज़ोर देकर कहा कि आतंकवाद को फिर से पारिभाषित करने की ज़रूरत है। इससे पहले भी भारत इस मंच से आतंकवाद को पारिभाषित करने की मांग कर चुका है।
यूएन महासभा में सुषमा ने कहा कि हम ग़रीबी से लड़ रहे हैं और हमारा पड़ोसी पाकिस्तान हमसे लड़ने में लगा है। जो देश हैवानियत की हदें पार कर सैकड़ो बेगुनाहों की हत्या करता है वो हमें इंसानियत का पाठ पढ़ाता है।
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने शांति की पहल की, लेकिन पाकिस्तान को शांति रास नहीं आती। उन्होंने दोस्ती का हाथ बढ़ाया, लेकिन कहानी बदरंग किसने की? इसका जवाब पाकिस्तान को देना है। दोनों देशों के अस्तित्व में आए 70 साल हो गए हैं। कभी पाकिस्तान ने सोचा कि भारत की पहचान दुनिया में आईटी ताक़त के रूप में बनी और वो दहशतगर्द देश के रूप में जाना जाता है।
सुषमा ने कहा कि हमारे देश में जो भी सरकारें आईं सबने विकास का काम किया। हमने आईआईटी, एम्स और आईआईएम खोले, लेकिन पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन को खड़ा किया। मैं पाकिस्तानियों से कहना चाहूंगी कि जो पैसे आतंकवाद पर खर्च करते हो उसे लोगों की तरक्की पर करो। ऐसा करना दुनिया और पाकिस्तान दोनों के हक़ में होगा।
आगे उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से आतंकवाद के ख़िलाफ़ रहा है लेकिन दुनिया के कई देश अपना निजी हित देख आतंकवाद पर बोलते हैं।
हमें आतंकवाद की परिभाषा तय करनी होगी। अब हमें अच्छे आतंकवाद और बुरे आतंकवाद के खांचे से बाहर निकलना होगा। अगर सुरक्षा परिषद में ही आतंकवादियों की लिस्ट पर मतभेद उभरकर सामने आएगा तो आतंकवाद के ख़िलाफ़ हमारी प्रतिबद्धता किस हद तक रहेगी?
सुषमा ने यह भी कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन के संकट को लेकर पेरिस समझौते के साथ है।
गौरतलब है कि पहले गुरुवार को यूएन की आम सभा को संबोधित करते हुए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहिद खाक़ान अब्बासी ने कश्मीर का मुद्दा उठाया था। अपने भाषण में उन्होंने कश्मीर में भारत पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप लगाए थे।
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