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फिल्म समीक्षा:सिम्बा में सिंघम की छवि मगर पकड़ नहीं

पेज-थ्री            Dec 28, 2018


डॉ. प्रकाश हिंदुस्तानी।
पुलिस वाले जोकर नहीं होते। सिम्बा में इंटरवल के पहले जिस तरह पुलिसवाले को जोकर जैसा दिखाया गया है, वह अटपटा लगता है। पुलिसवाले इमोशनल हो सकते हैं, भ्रष्ट भी हो सकते हैं, लेकिन मजाक का विषय नहीं हो सकते, जैसा कि फिल्म की शुरूआत में है।

फिल्म में थाने में दो बलात्कारी गुंडों का एनकाउंटर दिखाया गया है और एनकाउंटर से जुड़ी दूसरी कहानियां भी बताई गई हैं। एनकाउंटर तो मुख्य खलनायक सोनू सूद का दिखाना था, लेकिन दिखाया गया, उसके फिल्मी भाईयों का।

निर्देशक ने सिम्बा की अगली कड़ी के लिए सोनू सूद को छोड़ दिया। रणवीर सिंह ने फिल्म में चिरकुट पुलिसवाले की ओवरएक्टिंग की है और सारा अली खान को कुछ करने के लिए मिला नहीं।

इस फिल्म में जो भी है अति की हद तक है। भाषणबाजी लंबी है, कलाकारों की भीड़ जबरदस्त है, फाइट सीन भी अच्छे है और ग्लिसरीन के आंसू भी बहुत ज्यादा हैं। कम है, तो सारा अली खान का रोल।

रणवीर सिंह की तुलना में सारा को 15 प्रतिशत स्क्रीन ही मिल पाई है। उसमें भी रणवीर के साथ ही। लगता है कि उसे केवल गानों के लिए रखा गया है। बीच-बीच में दो-तीन डायलॉग भी दिए हैं।

सिम्बा भी वहीं का है, जहां का सिंघम था। सिंघम उसका प्रेरणास्त्रोत हैं और वह सिंघम जैसा बनते-बनते कुछ और बन जाता है, लेकिन जब फंसता है, तब सिंघम ही आकर बचाता है। अतिथि कलाकारों में अजय देवगन, तुषार कपूर, कुणाल खेमू, श्रेयस तलपड़े, अरशद वारसी की लंबी-चौड़ी भीड़ है।

अंत में अक्षय कुमार भी है, जो वीर सूर्यवंशी बनकर आता है। इस ऐलान के साथ कि वह 2019 में आ रहा है। जाते-जाते सोनू सूद भी कहता है कि 7 साल के लिए जेल जा रहा हूं, आकर सिम्बा को वाट्सअप करूंगा। मतलब रीमैक की पूरी व्यवस्था कर ली गई है।

सिम्बा अनाथ है। इस कारण वह संस्कारहीन है, यह बात भी जमती नहीं। बाद में वह हर किसी से रिश्ता जोड़ने लगता है। किसी की मां, किसी को बहन, किसी को पिता और कहता है कि मेरा बहुत लंबा-चौड़ा परिवार है। फिल्म में गोवा की पृष्ठभूमि है, वहां के होटल, अपराधी, ड्रग माफिया, भ्रष्ट नेता, आदि है।

अनेक बातें तर्कहीन है, जैसे सीनियर इंस्पेक्टर को सस्पेंड करने के पहले मंत्री अपने यहां बुलाकर सफाई देता है। न्यायालय के अधपके सीन भी हैं और निर्भया कांड को लेकर लंबे-चौड़े भाषण भी। फिल्म का हर कलाकार हमेशा चटक रंगों के नए कपड़े पहनता है, जो रोहित शेट्टी का स्टाइल है। सिम्बा गाना गाता है, तब ऐसा लगता है, मानो आइफा का अवार्ड फंक्शन हो रहा हो। छिछौरे डायलाॅग भी हैं और सिंघम की गानों पर धुन पर बने नए गाने भी। सिम्बा आला रे आला ऐसे फिल्माया गया है, मानो सिम्बा न होकर कोई और आ रहा हो।

1996 में आई हिट फिल्म तेरे मेरे सपने का गाना आंख मारे भी इस फिल्म में नए तरीके से दिखाया गया है। अखरने वाली बात यह है कि एक भ्रष्ट पुलिसवाले को इस तरह दिखाया गया है, मानो वह कोई बहुत अच्छा काम कर रहा हो। हीरो मानता है कि यह कलयुग है, कलयुग। यहां सब लोग एक ही मतलब के लिए जीते हैं और वह है अपना मतलब। हीरो पुलिसवाला बनता है, पैसा कमाने के लिए और कहता है कि मैं रॉबिनहुड बनकर दूसरों की मदद करने नहीं आया हूं।

फिल्म में सिंघम वाले सारे मसाले है। इसे दक्षिण की फिल्म टेम्पर का रीमैक बताया गया है। सोनू सूद की खलनायकी आखिरी में ही उभरकर आई। आशुतोष राणा एक ईमानदार पुलिसवाले के रूप में प्रभावशाली हैं। फिल्म के निर्माण में रिलायंस, रोहित शेट्टी और धर्मा प्रोडक्शन का नाम हैं। तनिष्क बागची का संगीत कामचलाऊ है।

रणवीर सिंह की शादी के कारण इस फिल्म में रणवीर वाले दृश्य पहले ही फिल्मा लिए गए थे, कुछ एक दृश्य ही बाद में फिल्माए गए। कई जगह रणवीर के डुप्लीकेट से काम चलाया गया है, जो आमतौर पर नजर नहीं आता। जिन लोगों को सिंघम पसंद आई थी, उन्हें यह पसंद आ सकती है, क्योंकि इसमें सिंघम की छवि है, लेकिन सिंघम जैसी पकड़ नहीं।

 


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