समीर चौगांवकर।
1980 के आम चुनाव में जनता पार्टी की करारी हार और दोहरी सदस्यता के मुद्दे पर जनता पार्टी से निकाले गए अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने पूरे देश का दौरा किया और जनसंघ के कार्यकर्ताओं का मन टटोला।
कार्यकर्ताओं के मन में नए राजनैतिक दल बनाने का सुझाव और संघ द्वारा पूर्ण सहयोग देने के वचन के बाद अटल और आड़वाणी ने अपने सहयोगीयों के साथ मिलकर नया राजनैतिक दल बनाने का निर्णय लिया और दिल्ली में 5 और 6 अप्रैल 1980 को दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में फिरोजशाह कोटला मैदान में 3500 कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में एक नए राजनैतिक दल ‘भारतीय जनता पार्टी’ का जन्म हुआ।
अटल बिहारी वाजपेयी इसके पहले अध्यक्ष बने। आड़वाणी, सिंकदर बख्त और सूरजभान को महासचिव बनाया गया।
नए राजनैतिक दल का नाम क्या हो, इस पर एकराय नहीं थी, कुछ नेताओं और संघ का कहना था कि नई पार्टी का नाम भारतीय जनसंघ होना चाहिए।
अटल बिहारी वाजपेयी नए दल का नाम ‘भारतीय जनता पार्टी’ रखना चाहतें थे।
एक नाम पर सहमति न बनने पर मतदान हुआ और भारी बहुमत से अटल बिहारी वाजपेयी के दिए हुए नाम भारतीय जनता पार्टी को स्वीकार किया गया।
अटल जी ने यह नाम भारतीय जनसंघ और जनता पार्टी के नाम को मिलाकर बनाया था, पार्टी ने नया झंडा और नया चिन्ह अपनाया, दीपक का स्थान कमल ने लिया।
इसके बाद 28 से 30 दिंसबर 1980 को भारतीय जनता पार्टी का पहला अधिवेशन मुम्बई में हुआ।
भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से कुछ महत्वपूर्ण लोगों में नानाजी देशमुख, डॉ मुरली मनोहर जोशी, सुंदर सिंह भंडारी, केआर मलकाणी, वीके मल्होत्रा,कुशाभाऊ ठाकरे, जना कृष्णमूर्ति, केदारनाथ साहनी, जेपी माथुर, सुंदरलाल पटवा, भैरोंसिंह शेखावत, शांता कुमार, राजमाता विजयाराजे सिंधिया, कैलाशपति मिश्र, जगन्नाथराव जोशी और अन्य लोग शामिल थे।
अटल बिहारी वाजपेयी ने पार्टी अध्यक्ष का कार्यभार संभाला और लालकृष्ण आडवाणी महासचिव बने।
पार्टी ने पंचनिष्ठा को अपना रोडमैप मानते हुए उसके प्रति प्रतिबद्धता ज़ाहिर की।
इसमें, क)राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय अखंडता, ब) लोकतंत्र और मूल अधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता स) सर्वधर्म समभाव (सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता का भाव) द) गांधीवादी समाजवाद और ई) मूल्य आधारित राजनीति।
वाजपेयी ने इस अधिवेशन में एक यादगार भाषण दिया और उन्होंने कहा,'भाजपा खुद को जमीन से जुड़ी राजनीति के लिए समर्पित करने के लिए संकल्पित है।
इसी तरीके से हम राजनीति,राजनैतिक दलों और राजनैतिक नेताओं में लोगों का विश्वास बहाल कर सकते हैं।
एक हाथ में भारत का संविधान और दूसरे हाथ में समानता का ध्वज लेकर आइए संघर्ष के लिए तैयार हों।'
पार्टी के लिए एक नया चिन्ह यानी कमल अपनाकर वाजपेयी ने भारतीय राजनीति में भाजपा के आविर्भाव की एक बड़ी विख्यात भविष्यवाणी की थी, 'अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा।'
अन्य बातों के साथ वाजपेयी ने कहा कि भाजपा को न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर मंडरा रहे खतरों, लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वायत्तता, राजनीतिक हिंसा, राजनीतिक उद्देश्यों के लिए सरकारी तंत्र के दुरुपयोग और शरणार्थियों की स्थिति के मुद्दों पर संघर्ष करना चाहिए।
1980 में भाजपा की स्थापना के आठ महीने के भीतर भाजपा ने बिहार में 324 सीटों में 21, गुजरात में 182 सीटों में 9, उत्तरप्रदेश में 425 में 11, महाराष्ट्र में 288 सीटों में से 14,राजस्थान में 200 सीटों में से 32 और मध्यप्रदेश में 320 में से 8 सीटें जीत ली थीं।
जिस साल भाजपा का जन्म हुआ उसी साल भाजपा के 95 विधायक थे,सांसद एक भी नहीं था।
1984 में भाजपा के 2 सांसद बने। आज 43 साल के अपने प्रवास में भाजपा के 10 करोड़ से ज्यादा सदस्य हैं।
लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर 396 सांसद हैं।
पूरे देश में 1605 विधायक हैं और देश के 60 प्रतिशत से ज्यादा भूगोल पर भाजपा का राज हैं।
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