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पूर्व आईएफएस ने राहुल गांधी को लिखा पत्र वुधनी विजयपुर में उतारें साझा उम्मीदवार

राजनीति            Oct 23, 2024


 मल्हार मीडिया भोपाल।

पूर्व आईएफएस अधिकारी आजाद सिहं डबास ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को पत्र लिखकर मध्यप्रदेश की बुधनी एवं विजयपुर विधानसभा में कांग्रेस एवं अन्य पार्टियों की तरफ से साझा उम्मीदवार उतारने की मांग की है।

भारतीय वन सेवा के 1985 बैच के मध्यप्रदेश काडर का अधिकारी रहे श्री डबास ने अपने पत्र में लिखा है कि बुदनी एवं विजयपुर दोनों विधानसभाएं, आदिवासी एवं पिछड़ा बाहुल्य हैं। कांग्रेस पार्टी द्वारा बुदनी से पूर्व मंत्री राजकुमार पटेल (जो पिछड़ा वर्ग से आते हैं) एवं विजयपुर से श्री मुकेश मल्होत्रा (जो सहरिया आदिवासी हैं) को टिकट दिया गया है। मेरा ऐसा मानना है कि वर्तमान हालात में ये दोनों ही उपयुक्त उम्मीदवार हैं लेकिन अकेले कांग्रेस पार्टी के बूते इनका चुनाव जीतना असंभव है।

उन्होंने आगे लिखा बुदनी से समाजवादी पार्टी ने अर्जुन आर्य, जो युवां किसान नेता हैं, को टिकट दिया है। बसपा ने अभी अपने पत्ते नही खोले हैं। आदिवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाली गोगंपा भी अपना उम्मीदवार उतारेगी। आम आदमी पार्टी भी अपना उम्मीदवार उतार सकती है। अगर ये सभी पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ती हैं तो कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार का हारना तय है। गौरतलब है कि मैं 3 वर्ष तक सीहोर का वनमण्डलाधिकारी रहा हूं।

गौरतलब हे कि बुदनी विधानसभा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गढ़ रहा है। श्री चौहान ने लगभग 20 वर्ष इस विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया है। इस दौरान उन्होनें श्री रमाकांत भार्गव (पूर्व अध्यक्ष जिला सहकारी बैंक सीहोर, पूर्व अध्यक्ष अपेक्स बैंक, पूर्व अध्यक्ष मार्कफेड इत्यादि) जो वर्तमान में भाजपा के उम्मीदवार हैं, के अलावा गुरूप्रसाद शर्मा (पूर्व अध्यक्ष म.प्र राज्य वन विकास निगम), लक्ष्मण बारेला (आदिवासी नेता), निर्मला बारेला (अध्यक्ष, म.प्र वित्त विकास निगम) एवं महेश उपाध्याय (अध्यक्ष सलकनपुर माता ट्रस्ट) जैसे कई नेता तैयार किये हैं जिनका अपने-अपने समाज/वर्ग में खासा जनाधार है।

श्री चौहान खुद किरार जाति से संबध रखते हैं जिनका इस विधानसभा में खासा प्रभाव है। ऐसी परिस्थिति में भाजपा के उम्मीदवार को हराने के लिये मात्र कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार से काम चलने वाला नही है। विपक्षी पार्टियों का साझा उम्मीदवार ही भाजपा को बुदनी में हरा सकता है।

चूंकि काग्रेंस पार्टी अपना उम्मीदवार घोषित कर चुकी है अतः उपरोक्त समस्त पार्टियों का इन्हें सर्मथन प्राप्त हो ऐसे प्रयास किये जाने चाहिए।

अगर यह संभव ना हो तो समाजवादी पार्टी के घोषित उम्मीदवार अथवा किसी अन्य पार्टी (आप सहित) के उम्मीदवार को साझा उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए।

 श्री डबास ने श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा के संबंध में जानकारी देते हुए लिखा है कि यहां से श्री रामनिवास रावत (जो 6 बार से कांग्रेस पार्टी के विधायक रह चुके हैं और वर्तमान में पर्यावरण एवं वन मंत्री हैं) भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं। श्री रावत पूर्व में भी मंत्री रह चुके हैं। इनकी क्षेत्र में अच्छी खासी पकड़ है। श्री रावत ओबीसी वर्ग के साफ-सुथरी छवि के नेता हैं। ओबीसी कांग्रेस में काम करने के कारण मैं श्री रावत की कार्यप्रणाली से भली-भॉति वाकिफ हूं।

विजयपुर सहरिया आदिवासी बाहुल्य विधानसभा है। क्षेत्र में मीणा जाति जिससे श्री रावत संबध रखते हैं, भी प्रभावी भूमिका में है। हाल ही में भाजपा सरकार ने सीताराम आदिवासी, पूर्व विधायक जो सहरिया आदिवासी हैं, को सहरिया विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाया है। भाजपा द्वारा श्री बाबूलाल मेवरा, पूर्व विधायक को भी साध लिया गया है। ऐसी परिस्थिति में श्री रावत को हराना दुष्कर ही नही अपितु असंभव है।

कांग्रेस पार्टी के द्वारा मुकेश मल्होत्रा जो सहरिया आदिवासी हैं, को टिकट दिया गया है। विधानसभा क्षेत्र में सहरिया जनजाति के लगभग 70 हजार वोट हैं। श्री मल्होत्रा पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा से टिकट नही मिलने पर बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़े थे और तीसरे क्रम पर रहे थे। ऐसी परिस्थिति में कांग्रेस पार्टी द्वारा किया गया इनका चयन सही है लेकिन मात्र कांग्रेस पार्टी के भरोसे इनका जीतना भी असंभव है। अगर कांग्रेस पार्टी इनको समस्त विपक्षी पार्टियों (आप सहित) का साझा उम्मीदवार बनाने में सफल हो जाती है, तो भाजपा उम्मीदवार को गंभीर चुनौती दी जा सकती है।

मध्य प्रदेश में नवम्बर 2023 में हुये विधानसभा के आम चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने श्री कमलनाथ के नेतृत्व में अकेले चुनाव लड़कर मुंह की खाई है। उप चुनावों में नामांकन की अंतिम तिथी 25 अक्टूबर है। 30 अक्टूबर तक नामांकन वापस लिये जा सकते हैं। अगर अभी भी इन उपचुनावों में कांग्रेस पार्टी साझा उम्मीदवार उतारने में कामयाब हो जाती है तो इसके अत्यंत सुखद परिणाम आ सकते हैं। ऐसा होने से आगामी विधानसभा (2028) के आम चुनावों की भूमिका भी अभी से तैयार हो सकती है। साझा उम्मीदवार नही उतारने की स्थिति में एक ओर जहां उप चुनाव में कांग्रेस पार्टी की जीत नामुमकिन है, वहीं दूसरी ओर आगामी विधानसभा के आम चुनाव में भी पार्टी की करारी हार होना सुनिष्चित है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 


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