दीपक तिवारी।
राजनीति में रूचि रखने वालों को यह फ़ोटो संभाल कर रख लेना चाहिये .....
दो दिन पहले गुना लोकसभा के आरोन में एक मैराथन दौड़ प्रतियोगिता के समय विधायक जयवर्धन सिंह और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया कार्यकर्ताओं की माँग पर उनका होंसला बढ़ाने दौड़ गये।
दौड़ अनजाने में ही दोनों नेताओं की पारंपरिक प्रतिद्वंदिता का प्रतीक बन गयी।
सिंधिया और राघोगढ़ के खींची राजपूतों के मध्य 1816 में दौलतराव सिंधिया और राजा जयसिंह के बीच हुए युद्ध और समझौते के बाद राघोगढ़ का इलाक़ा ग्वालियर राज्य में शामिल हो गया था। उस दौर में सिंधिया ने राघोगढ़ के पराक्रमी राजा को परास्त कर दिया था।
इसके लगभग दो शताब्दी (177 साल) बाद स्वतंत्र भारत में लोकतांत्रिक रूप से 1993 में दिग्विजय सिंह ने मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बन कर ग्वालियर रियासत से अपने पूर्वजों का हिसाब बराबर किया था।
तब माधवराव सिंधिया (ज्योतिरादित्य के पिताजी) ग्वालियर से सांसद और केंद्रीय मंत्री थे और दिग्विजय सिंह अविभाजित मध्यप्रदेश के एक-छत्र मुख्यमंत्री। सिंधिया बहुत कोशिशों के बाद भी मुख्यमंत्री नहीं बन पाये थे।
1993 में हिसाब बराबर होने के बाद आज फिर से दोनों रियासतों के वंशज फिर से दौड़ में शामिल हैं। दौड़ राजनैतिक है, लोकतांत्रिक मर्यादाओं के बीच है।
देखते हैं आने वाले दशकों में कौन पहले मुख्यमंत्री बनता है......
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं यह टिप्पणी और फोटो उनके फेसबुक वॉल से ली गई है
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