मल्हार मीडिया भोपाल।
राष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस और 17 विपक्षी दलों की उम्मीदवार मीरा कुमार ने आज भोपाल में गुरुवार को किसी पार्टी या सरकार का नाम लिए बगैर कहा कि इस समय देश के लोगों पर मनुवादी सोच थोपी जा रही है, दलितों पर अत्याचार हो रहे हैं।
उनकी लड़ाई मनुवादी सोच थोपने वालों से है, राष्ट्रपति चुनाव 'विचारधारा की लड़ाई' है। उन्होंने कहा कि एक तरफ मनुवादी सोच रखने वाले, जातिवाद को बढ़ावा देने वाले लोग हैं, तो दूसरी ओर उनके साथ वे लोग खड़े हैं जो जातिवाद के खिलाफ व सामाजिक समरसता की वकालत करते हैं। इस चुनाव को विचारधारा का चुनाव बनाया गया है।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस के विधायकों और सांसदों से समर्थन मांगने पहुंचीं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस कार्यालय में बैठक के बाद सवाददाताओं से कहा, "यह चुनाव विचारधारा का चुनाव है, कांग्रेस और अन्य 17 पार्टियां भले ही विभिन्न विषयों में राय अलग रखती हों, मगर विचारधारा, मूल्य और सिद्धांतों के प्रश्न पर यह सब एकजुट हो गए हैं। यह विचारधारा है सामाजिक न्याय, पारदर्शिता, समावेशी समाज, सबको साथ लेकर चलने और सभी धर्मो को सम्मान देने की, क्योंकि हमारा देश बहुधर्मी देश है।"
उन्होंने कहा, "आजादी के आंदोलन के समय से ही कांग्रेस की मान्यता रही है कि जाति व्यवस्था को मिटाएं, अभिव्यक्ति की आजादी हो, प्रेस को आजादी मिले, मेरा तो व्यक्तिगत मानना है कि जातिवाद की गठरी को बांधकर उसे जमीन में गाड़ देना चाहिए।"
मीरा कुमार ने कहा कि वर्तमान दौर में 'मीडिया की आजादी' पर काले बादल मंडरा रहे हैं, देश पर मनुवादी सोच थोपा जा रहा है और दलितों पर अत्याचार हो रहे हैं, यह गंभीर चिंता का विषय है। इसलिए यह चुनाव विचारधारा का चुनाव बन गया है।
मीरा कुमार ने यह भी कहा कि अंतरआत्मा की आवाज आंकड़े पलट सकती है।
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