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लोकतंत्र पर राजनीतिक दलों के बीच स्वस्थ चर्चा की जरूरत - मोदी

राजनीति            Oct 28, 2017


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कांग्रेस पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए मीडिया से राजनीतिक दलों में लोकतंत्र और उनके लोकतांत्रिक मूल्यों पर चर्चा करने का आग्रह किया, ताकि पार्टियों के नेतृत्व विकास और नियुक्तियों में पारदर्शिता आ सके। मोदी ने भाजपा के वार्षिक दिवाली मिलन समारोह के दौरान संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, "देश के लोग राजनीतिक पार्टियों के कार्यशैली के विभिन्न पहलुओं से अवगत नहीं हैं। लोग आंतरिक लोकतांत्रिक प्रकिया, निर्णय लेने और आंतरिक प्रक्रिया में भी अवगत नहीं हैं और उन्होंने मीडिया से इस संबंध में चर्चा की शुरुआत करने को कहा।

मोदी ने कहा, "कुछ समय, मुझे महसूस होता है कि राजनीतिक पार्टियों में लोकतंत्र, उनके आंतरिक संरचना, निर्णय लेने की प्रक्रिया के बारे में देश परिचित नहीं है। मैं ऐसा महसूस करता हूं कि आप दोस्त किसी दिन यह अध्ययन करेंगे और इस बात को सामने लाएंगे कि पार्टी की संरचना क्या है, कैसे पार्टी नेतृत्व काम करता है, कैसे नई पीढ़ी को अवसर मिल सकता है, के बारे में आप लोग लोगों को बताएंगे।"

उन्होंने कहा कि यह देश में विस्तृत चर्चा का विषय होना चाहिए, क्योंकि लोकतंत्र की गुणवत्ता राजनीतिक दल पर निर्भर करती है।

मोदी ने कहा, "राजनीतिक पार्टियों को सच्चा लोकतांत्रिक मूल्य विकसित करना चाहिए। यह देश के भविष्य के लिए काफी महत्वपूर्ण है।"

उन्होंने कहा, "आप हमें बताते हैं कि हमें किस चीज पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। देश राजनीतिक दलों में लोकतंत्र चाहता है। हमें राजनीतिक दलों में नियुक्तियों को लेकर पारदर्शिता अपनाने की जरूरत है। किसी राजनीतिक दल का नेतृत्व कैसे विकसित होता है? नई पीढ़ियों को किस तरह के अवसर दे रहे हैं। इसे हमारी बहस का मुद्दा बनाना चाहिए।"

कार्यक्रम में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे। मोदी ने देश में लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने में मीडिया की सकारात्मक भूमिका को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा, "राजनीतिक दलों में लोकतंत्र के बारे में अधिक लोगों को जानना चाहिए। यह सच है कि राजनीतिक दलों की फंडिंग मीडिया में चर्चा का विषय है और कई चीजें सार्वजनिक हो गई हैं। लेकिन पूरी तरह से पार्टियां कैसे बनती हैं, ये काम कैसे करती हैं, इनमें नियुक्तियां कैसे होती हैं, उनके मूल्य, उनकी विचारधारा और उनकी कमजोरियां। इस तरह की कमजोरी के पीछे कारण क्या है। इन सभी पर चर्चा होनी चाहिए।"

प्रधानमंत्री ने शनिवार को कहा कि कुछ व्यावहारिक समस्याएं हैं, जिस वजह से वह अमूमन मीडिया से मिल नहीं पाते।

मोदी ने कहा, "दोनों तरफ से उम्मीदें हैं। दोनों तरफ से शिकायतें हैं। लेकिन मुझे लगता है कि यह हमारी पेशेवर दिक्कत है। हमें आगे बढ़ने के लिए बीच का रास्ता निकालने की जरूरत है।"

उन्होंने कहा, "मुझे याद है कि मैं किस तरह आपके साथ समय बिताता था। आप में से अधिकांश एक ही पीढ़ी से हैं। बीती यादों में खोना स्वाभाविक है, उस समय कोई बाधा या मुश्किल नहीं थी। वे दिन थे, जब हम आपकी तलाश करते थे और मेरे भाषणों को मीडिया में थोड़ा बहुत स्थान मिलता था।"

उन्होंने कहा कि पहले की तुलना में मीडिया का अब इतना विस्तार हुआ है कि सभी पत्रकारों से मिलना मुश्किल है।

उन्होंने कहा, "आप में से कुछ कहते हैं कि मोदी जी आप हमसे नहीं मिलते। पहले हम आपसे मिलते थे, दरवाजा खटखटाते थे और अंदर घुस जाते थे। वह खुशी का अलग माहौल था। हम बहुत बातें करते थे, लेकिन आज यह मुश्किल हो गया है।"

उन्होंने कहा कि एक-दूसरे को समझने से संबंध और आपसी विश्वास मजबूत हुआ है।

मोदी ने कहा, "मेरा अनुभव कहता है कि हर कोई अपने कर्तव्यों का निर्वाह कर रहा है, लेकिन अनौपचारिक रूप से हर किसी के पास देश को योगदान देने के लिए कुछ न कुछ है। पत्रकार हमें बाधाओं के बारे में बताते हैं। हमें बताते हैं कि हममें सुधार की कहां गुंजाइश है।"

मोदी ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि जो लोग आज यहां हैं, एक दिन इस चर्चा को आगे ले जाएंगे।"

उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन को सफल बनाने में मीडिया की सकारात्मक भूमिका के लिए आभार जताया।

मोदी ने कहा, "आधे अखबार सरकार की आलोचनाओं से भरे रहे, लेकिन जब स्वच्छ भारत अभियान की बात आई तो सबने इसे प्राथमिकता दी। मैं आप सभी का इस मिशन को सफल बनाने में आभार व्यक्त करता हूं।"



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