राकेश दुबे।
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र जमा कर दिए हैं। भाजपा और आप पार्टी को छोड़ किसी ने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया है। अभी तक अनुमान मध्यप्रदेश में मिलीजुली सरकार के दिखते हैं। कांग्रेस के बड़े चेहरे मैदान में नहीं उतर रहे हैं, पर सारे बड़े चेहरे मुख्यमंत्री की दौड़ में अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं और उनके समर्थक इस बात को सुनियोजित तरीके से फैला भी रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस की ओर से उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने के साथ ही तय हो गया कि शिवराज सिंह चौहान और आप पार्टी के आलोक अग्रवाल ही मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में लड़ेंगे।
कांग्रेस के मुख्य चेहरे और मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे दोनों लोकसभा सांसद कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। इसके विपरीत भोजपुर से कांग्रेस उम्मीदवार सुरेश पचौरी के समर्थक उन्हें विजयी और मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार मान बैठे हैं।
वैसे कांग्रेस में यह आम बात है कि सुरेश पचौरी के लक्ष्य और राजनीति आम तौर पद सीधे नहीं दिखते हैं। परम्परा के विपरीत मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियों में सत्तारुढ़ दल भाजपा ने आगे रहते हुए अपने 177 विधानसभा उम्मीदवारों की पहली सूची इस बार जारी की।
इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को फिर से उनके गृह जिले सीहोर की बुधनी सीट से मैदान में उतारा है। वे किसी एक और स्थान से भी नामांकन दाखिल कर सकते हैं।
शिवराज सबसे पहले बुधनी से 1990 में विधायक चुने गए थे लेकिन इसके बाद 1991 में अटल बिहारी वाजपेयी के विदिशा लोकसभा सीट छोड़ने के कारण वहां हुए उपचुनाव में जीतकर सांसद बने थे। इसके बाद चौहान 1996 से 2004 तक के लोकसभा चुनाव विदिशा से लगातार जीतते रहे।
साल 2005 उनके लिए बदलाव लेकर आया जब उन्हें मध्यप्रदेश में बाबूलाल गौर को हटाकर मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके बाद २००६ में अपनी पुरानी सीट बुधनी से उपचुनाव जीतकर वह प्रदेश विधानसभा के सदस्य बने।
शिवराज ने लगातार 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में बुधनी सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा और अब 2018 के विधानसभा चुनाव, जिन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल कहा जा रहा है, में भाजपा ने एक बार फिर उन्हें बुधनी से उम्मीदवार घोषित किया है।
कांग्रेस ने बुधनी सीट पर पिछले चुनावों में कई प्रयोग किये। 2006 में शिवराज ने बुधनी में कांग्रेस के पूर्व मंत्री राजकुमार पटेल को 3600 मतों से, 2008 में कांग्रेस के महेश सिंह राजपूत को 4100 मतों और 2013 में कांग्रेस के महेन्द्र सिंह चौहान को 84000 हजार मतों के अंतर से पराजित किया था।
कांग्रेस ने अरूण यादव को इस पार्टी से मैदान में उतारा। दिग्विजय सिंह की पत्नी अमृता राय का नाम भी इस क्षेत्र से उछला था अब शायद नेपथ्य में चला गया है। आम आदमी पार्टी ने अपने प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल को भोपाल दक्षिण पश्चिम सीट से उम्मीदवार बनाया गया है।
आप ने अग्रवाल को प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के लिये अपना चेहरा भी घोषित किया है। कांग्रेस में कब क्या होगा, अनुमान लगाना कठिन है। सुरेश पचौरी के समर्थक भले ही कुछ कहें, शेष क्षत्रप सहज रूप से स्वीकार करेंगे इसमें संदेह है।
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