फर्जी राजनीतिक दलों पर चुनाव आयोग कसेगा शिकंजा,250 होंगे डीलिस्ट

राजनीति            Dec 21, 2016



मल्हार मीडिया ब्यूरो।
भारतीय चुनाव आयोग ने अब फर्जी राजनीतिक दलों पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार, करीब 250 फर्जी राजनीतिक दलों पर चुनाव आयोग ने सख्‍त रुख अख्तियार कर लिया है। बताया जा रहा है कि इन दलों की मान्‍यता आने वाले दिनों में रद्द हो सकती है।

सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग 250 से अधिक राजनीतिक दलों को डीलिस्‍ट कर सकता है। बता दें कि आयोग के पास दलों को डीलिस्‍ट करने का अधिकार है। चुनाव अयोग के अनुसार, करीब 250 से अधिक राजनीतिक दल सिर्फ कागजों पर हैं। इन राजनीतिक दलों पर कालेधन को सफेद करने का आरोप भी है। चुनाव आयोग के मुताबिक करीब 250 दलों ने साल 2005 से किसी चुनाव में हिस्‍सा नहीं लिया है। जानकारी के अनुसार, चुनाव आयोग इन फर्जी राजनीतिक दलों को डीलिस्‍ट करने के लिए सीबीडीटी को जानकारी देगा। जिसके बाद इन्‍हें डीलिस्‍ट करने की प्रकिया शुरू की जा सकती है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, निर्वाचन आयोग ऐसे 250 से अधिक दलों के वित्तीय मामलों की जांच करने के लिए आयकर अधिकारियों को पत्र लिखने वाला है, जिन्हें उसने चुनाव न लड़ने के कारण ‘सूची से बाहर’ किया है। आयोग ने बीते कुछ समय में ऐसे विभिन्न दलों की पहचान की है, जिन्होंने वर्ष 2005 से चुनाव नहीं लड़ा है। आयोग ने ऐसे 200 से अधिक दलों को ‘सूची से बाहर’ किया है। आयोग का मानना है कि इनमें से अधिकतर दल सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं ताकि चंदा लेकर लोगों के काले धन को सफेद करने में मदद की जा सके।

अगले कुछ दिन में, आयोग सूची से बाहर किए गए इन दलों के नाम आयकर अधिकारियों को भेजेगा और धनशोधन में लिप्त पाए जाने पर संबंधित कानून के तहत कार्रवाई की मांग करेगा। निर्वाचन आयोग के पास किसी राजनीतिक दल का पंजीकरण करने का अधिकार तो है लेकिन चुनावी नियमों के तहत उसके पास किसी दल का पंजीकरण रद्द करने का अधिकार नहीं है।
किसी दल का पंजीकरण रद्द करने के अधिकार की उसकी मांग कानून मंत्रालय के समक्ष लंबित है।

ऐसे में आयोग ने निष्क्रिय रहने और लंबे समय तक चुनाव न लड़ने वाले दलों को सूची से बाहर करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत दिए गए अधिकारों का इस्तेमाल किया है। भारत में 1780 से अधिक गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत दल हैं। इसके अलावा देश में सात राष्ट्रीय दल- भाजपा, कांग्रेस, बसपा, तृमूकां, भाकपा, माकपा और राकांपा हैं। इसके अलावा 58 क्षेत्रीय दल हैं।

चुनाव में कालेधन का उपयोग रोकने के लिए आयोग ने कई चुनावी सुधारों का प्रस्ताव दिया है लेकिन इनमें से अधिकतर सरकार के सामने लंबित हैं। इससे पहले, चुनाव आयोग ने राजनीति में कालेधन और धनशोधन के इस्तेमाल पर रोक के प्रयास के तहत सिफारिश की है कि सरकार कानूनों में संशोधन करे जिससे कि कर में छूट उन्हीं पार्टियों को मिले जो चुनाव में सीटें जीतें और दो हजार रुपये एवं उसके ऊपर दिये जाने वाले गुप्त चंदों पर रोक लगे। आयकर कानून, 1961 की धारा 13ए राजनीतिक दलों को मकान सम्पत्ति से आय, स्वैच्छिक योगदान से होने वाली आय, पूंजी लाभ से आय और अन्य स्रोतों से आय पर कर छूट प्रदान करती है। भारत में राजनीतिक पार्टियों की केवल वेतन मद में होने वाली आय और व्यापार या पेशे से होने वाली आय कर के दायरे में आती है। आयोग ने अब प्रस्तावित किया है कि आयकर छूट ऐसी ही पार्टियों को दी जानी चाहिए जो चुनाव लड़ती हैं और लोकसभा या विधानसभा चुनाव में सीटें जीतती हैं।

चुनाव आयोग ने चुनाव में कालेधन के प्रवाह पर रोक के प्रयास के तहत सरकार से कानूनों में संशोधन का आग्रह किया है ताकि राजनीतिक दलों को दो हजार रूपये और उसके उपर दिये जाने वाले गुप्त योगदानों पर रोक लगायी जा सके। बता दें कि राजनीतिक दलों की ओर से अज्ञात चंदा प्राप्त करने पर कोई संवैधानिक या कानूनी पाबंदी नहीं है। लेकिन जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 29 सी के तहत चंदे की घोषणा की जरूरत के जरिये अज्ञात चंदे पर ‘परोक्ष आंशिक प्रतिबंध’ है। लेकिन ऐसी घोषणा केवल 20 हजार रुपये से अधिक के चंदे पर अनिवार्य है।
ज़ी मीडिया ब्‍यूरो



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