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सागर रूट पर चार्टड की लापरवाही: न बसों का मैटेनेंस, न सुविधा पूरी, किराया वॉल्वो का, सफर सूत्रसेवा से

राज्य            Oct 11, 2019


ममता यादव।
मध्यप्रदेश की राजधानी है भोपाल और यहां से लगभग हर बड़े शहर के लिये चार्टड बस  चलती हैं । सागर संभाग के लिए भी चलती हैं मगर अन्य रूट्स की अपेक्षा भोपाल सागर के बीच बीसीसीएल द्वारा चलाई जा रही इन बसों में प्रबंधन के स्तर पर पिछले करीब एक साल से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।

जबकि किराया चाहे भोपाल से इंदौर का हो या सागर का एक जैसा ही है। कहने को सागर पिछले एक डेढ़ दशक से परिवहन मंत्री का ही गृह क्षेत्र रहा है और है। सरकार चाहे भाजपा की हो या कांग्रेस की।

इसे आप यात्रियों में जागरूकता का अभाव का परिणाम भी कह सकते हैं क्योंकि पिछले करीब एक डेढ़ साल से तो मैं ही प्रत्यक्ष गवाह और भुक्तभोगी हूं।

कभी बस खराब होना, टीवी बंद रहना, एसी का कैप निकलना या एसी ही बंद रहना यह सब इन बसों में सामान्य होता जा रहा है। कई बार तो बस निर्धारित स्टापेज से लेट चलती है फिर बीच में ब्रेक भी नहीं लिया जाता।

अगर टीवी चलता भी है तो सााउंड बंद। कोई यात्री बोले तो भी बस में मौजूद ड्राईवर और सहायक नहीं सुनते और शिकायत करने का भी कोई फायदा नहीं होता।

खैर कल 10 अक्टूबर को एक नई ही समस्या का सामना हुआ। 9 तारीख को टिकट बुक की गई 10 अक्टूबर की सुबह 10:30 बजे की। यात्री निर्धारित समय पर आईएसबीटी पहुंचे। पर वहांं एक तो सूत्र सेवा की बस में बैठने को बोला गया दूसरा सभी यात्रियों के सीट नंबर भी बदल गए बिना किसी पूर्व सूचना के।

यूं तो बस छूटने के पहले बकायदा फोन किए जाते हैं पर इस बार नहीं किए गए। जब कुछ यात्रियों ने शिकायती नंबर पर शिकायत की तो वहां से संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया बल्कि यात्रियों को बोला गया कि टिकट आप कैंसि कर दो नहीं जाना तो। इसमें कंपनी की चालाकी देखिए यदि यात्री बस छूटने के पहले टिकट कैंसल करता है तो उसे किराया वापस नहीं मिलेगा।

यात्री मजबूरी में बस में सफर करने तैयार हो गए। जब आरटीओ में शिकायत की गई तो बस कंपनी की तरफ से सागर में 50 रूपए वापस करने का बोला गया जबकि सूत्रसेवा बस का किराया 265 रूपए है।

खैर परिवहन विभाग की मिली भगत से निजी बस संचालक यात्रियों के साथ धोखाधड़ी करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। वह किराया तो वाल्वो बस का वसूलते हैं, लेकिन निर्धारित समय पर लोगों को गंतव्य तक साधरण बस में भेजने के लिए मजबूर करते हैं।

ताजा मामला वाल्वो बस संचालन से जुड़ी चार्टेड बस कंपनी का सामने आया है। जिसने धोखा देने की नीयत से एक दिन पहले टिकट आरक्षित कराने वाले यात्रियों को न तो वस्तुस्थिति से अवगत कराना उचित समझा और न ही किराया डिफरेंस वापस करने के लिए तैयार हुआ।

यह बात दूसरी है कि आरटीओ संजय तिवारी ने लिखित में शिकायत मिलने पर वैधानिक कार्रवाई का भरोसा जरूर दिलाया है।

दरअसल भोपाल से परिवहन मंत्री गोविंद सिंह के गृह जिले सागर की यात्रा के मद्देनजर दिव्य प्रकाश श्रीवास्तव सहित करीब 40 यात्रियों ने चार्टेड बस कंपनी में गुरुवार के लिए टिकट बुक कराया।

यात्रा को आरामदेह व सुरक्षित बनाने का हवाला देकर कंपनी ने साधरण बस में लगने वाले निर्धारित किराए की दर 250 रूपए की जगह वाल्वो बस का किराया 350 रूपए प्रति यात्री वसूले।

इनके अलावा एक दूसरी महिला यात्री ममता यादव से भी उपरोक्त किराए की राशि वसूलते हुए कंपनी ने पीएनआर नंबर 6169622 से सीट नंबर सी-3 का आरक्षण सुनिश्चित कर दिया। जो कि आईएसबीटी पहंचने पर बदला हुआ पाया गया। बस करीब 40 यात्री सवार थे।

क्योंकि बस संचालन से जुड़े कर्मचारी वाल्वो के स्थान पर साधरण बसों में बैठने के लिए न केवल दबाव बनाने लगे, बल्कि यात्रियों के विरोध को देखते हुए टिकट वापसी का सुझाव देने लगे। जबकि टिकट कैंसिलेशन पर भुगतान का प्रावधान नहीं है।

दोहरे नुकसान को देखते हुए इनमें से कइयों ने टिकट में अंकित कंप्लेन नंबर पर अपनी शिकायत दर्ज कराई तो, प्रबंधन ने भी पूरी बात सुने बिना दो-टूक शब्दों में यह कहते हुए असमर्थता जताई कि, टिकट कैंसिल करा दीजिए।

बहरहाल सागर पहुंचने पर यात्रियों को 50 रूपए वापस किए गए। वहीं बुकिंग के दौरान दिए गए कंपलेन नंबर 9991288888 पर भी इंदौर में बैठे जिम्मेदारों द्वारा संतोष जनक जबाव देने की जरूरत नहीं समझी गई। जबकि लैंड लाइन नंबर 0731 4288888 लगातार बंद मिला।

इनका कहना है
इस मामले में यदि कोई यात्री लिखित में शिकायत दर्ज कराता है, तो संबंधित बस
ऑपरेटर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
संजय तिवारी, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी भोपाल मप्र

 

इसे चार्टड कंपनी का दुर्भाग्य कहिए या सौभाग्य कि कल उस बस में कम से कम तीन मीडियाकर्मी सवार थे। नतीजा खबर प्राथमिकता से प्रकाशित हुई और आज इंदौर आरटीओ की तरफ से कंपनी को नोटिस भेजकर पूछा गया कि क्यों न मोटर व्हीकल एक्ट के तहत आपके विरूद्ध कार्यवाही की जाए।

 


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