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सप्रे संग्रहालय में हुआ अंतराष्ट्रीय पुरूस्कार प्राप्त डॉक्यूमेंट्री स्वराज मुमकिन है का प्रदर्शन

राज्य            Apr 17, 2017


मल्हार मीडिया भोपाल।
यदि हम अपने गांवों के प्रति जिम्मेदारी को समझें , तो अपने-अपने गांवों को आदर्श ग्राम बना सकते हैं। इसका जीता-जागता उदाहरण है नरसिंहपुर जिले का गांव 'बघुवारÓ। इसी गांव पर केन्द्रित डॉक्यूमेंट्री 'स्वराज मुमकिन हैÓ का प्रदर्शन सोमवार को सप्रे संग्रहालय में हुआ। इस वृत्त चित्र का प्रदर्शन सोमवार को सप्रे संग्रहालय में किया गया। इस वृत्त चित्र का निर्माण और निर्देशन मेडिकल रिसर्च एवं सामाजिक कार्यकर्ता माया विश्वकर्मा ने किया है।

करीब आधे घंटे की इस फिल्म में माया ने उन सभी खूबयों को उजागर करने का प्रयास किया है जिनकी वजह से यह गांव देश के अन्य गांवों से भिन्न है। मसलन- आजादी के बाद से कोई पंचायत चुनाव नहीं होना,गांव की सभा में ही सभी महत्वपूर्ण निर्णय किया जाना, ग्रामीणों द्वारा जैविक खेती को अपनाया जाना, जनभागीदारी से निर्माण कार्य, आपसी विवाद तथा किसी प्रकार के अपराध नहीं होने से थानों की स्थापना नहीं होने देना, गांव के पढ़े लिखे लोगों का वापस गांव की तरफ लौटना, शिक्षा,स्वास्थ्य सफाई के प्रति जागरुकता, पानी की बूंदों का सही उपयोग इसके साथ ही विकास के साथ -साथ अपनी संस्कृति और परंपरा से जुड़े रहने जैसी विशेषताएं इस गांव में है।

इन सबको बड़ी बारीकी से फिल्म में दिखाया गया है। इन्हीं खूबियों के चलते प्रदेश के इस गांव को राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हुआ है। वर्ष 2014 में माया विश्वकर्मा ने इस चित्र का निर्माण किया और किताब भी लिखी। वर्ष 2016 में इसे 'फेस्टिवल ऑफ ग्लोब (फोग) का पुरस्कार मिला। वहीं दुनिया के अन्य देशों फेस्टिवल में ऑफिशियल चयन किया गया है।

ऐसे ही और गांव भी बनें
फिल्म प्रदर्शन के बाद उपस्थितों से चर्चा में माया विश्वकर्मा ने बताया कि देश के और गांव भी इससे प्रेरणा लें, इसी मंशा से गांव-गांव जाकर तथा अन्य स्थानों पर इसका प्रदर्शन कर रही हैं। स्वयं नरसिंहपुर जिले से बावस्ता माया ने बताया कि एक मुलाकात में सुब्बाराव जी ने इस गांव के बारे में बताया था। तब एक तरह से ग्लानी हुई कि अपने पड़ोस के ऐसे आदर्श गांव के बारे में हमें पता ही नहीं। इसके बाद से ही देश दुनिया से इस गांव को परीचित कराने की ठानी। यह यात्रा अनवरत जारी है। उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि बचपन में नरसिंहपुर जिले के ही एक गांव में रहते हुए तमाम मुश्किलों को झेला। इसलिए भी गांवों के लिए कुछ करने की तमन्ना थी, फिर जिस शक्ल में हो जाए। आरंभ में सप्रे संग्रहालय के निदेशक विजयदत्त श्रीधर ने माया विश्वकर्मा का परिचय कराते हुए उनके अभियान के बारे में बताया। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार राकेश पाठक, बृजेश द्विवेदी,दीपक तिवारी,सोमदत्त शास्त्री, ममता यादव, मंगला अनुजा,दीपक पगारे सहित अन्य प्रबुद्धजन मौजूद थे।



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